शिमला:हिमाचल सरकार ने हाई कोर्ट में अपील की है कि सांसदों व विधायकों के खिलाफ दर्ज आपराधिक मामले वापस लिए जाएं. अब हाई कोर्ट ने इस केस में राज्य सरकार से महत्वपूर्ण जानकारियां तलब कर ली हैं. अदालत ने राज्य सरकार को विधायकों व सांसदों के खिलाफ दर्ज आपराधिक मामलों के आरोप पत्रों की प्रतिलिपियां पेश करने के लिए कहा है. साथ ही हर मामले में पब्लिक प्रॉसिक्यूटर की तरफ से केस वापिस लेने संबंधी राय भी पेश करने के आदेश जारी किए हैं.
इस मामले की सुनवाई हिमाचल प्रदेश हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति एमएस रामचंद्र राव व न्यायमूर्ति ज्योत्सना रिवाल दुआ की खंडपीठ कर रही है. खंडपीठ ने उन आपराधिक मामलों में आरोप पत्रों की प्रतिलिपियां पेश करने को कहा है, जिन्हें सरकार वापिस लेना चाहती है. गौरतलब है कि हिमाचल प्रदेश सरकार के गृह विभाग ने अदालत के समक्ष एक अपील दाखिल कर माननीयों के खिलाफ ऐसे 65 अभियोगों को वापिस लेने की अनुमति मांगी है, जो सरकार के अनुसार राजनीतिक द्वेष के कारण दर्ज किए गए थे.
सरकार की तरफ से हाई कोर्ट में दाखिल किए गए आवेदन में हाई कोर्ट को बताया गया है कि सीएम व डिप्टी सीएम सहित अन्य विधायकों के खिलाफ प्रदेश के 10 जिलों की अदालतों में आपराधिक मामले चल रहे हैं. सरकार का कहना है कि विधायकों पर राजनीतिक द्वेष के कारण ये आपराधिक मामले दर्ज किए गए हैं. वर्तमान और पूर्व विधायकों के खिलाफ दर्ज ये मामले राजनीतिक विरोध से जुड़े हैं.
सरकार की तरफ से अदालत को बताया गया है कि यह आवेदन किसी छुपे हुए मकसद से दायर नहीं किया गया है. अदालत को बताया गया कि सुप्रीम कोर्ट के निर्णय के तहत विधायक और सांसद के खिलाफ दर्ज आपराधिक मामलों को निपटाने के लिए विशेष न्यायाधीशों को नियुक्त किया गया है, लेकिन अभी तक सिर्फ सात मामलों का निपटारा ही किया गया है. सुप्रीम कोर्ट के निर्णय की अनुपालना करते हुए हाई कोर्ट ने विशेष अदालतों का गठन किया है और आदेश दिए हैं कि वर्तमान और पूर्व विधायकों और सांसदों के खिलाफ दर्ज मामलों को शीघ्रता से निपटाया जाए. मामले पर आगामी सुनवाई अब छह दिसंबर को निर्धारित की गई है.
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