शिमला: हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट ने नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ ओपन स्कूलिंग (NIOS) के फर्जी प्रमाणपत्रों को लेकर की जा रही धीमी जांच पर एक बार फिर अपनी नाराजगी प्रकट की है. हाईकोर्ट की खंडपीठ ने मामले की गंभीरता से जांच करने के लिए दो सप्ताह का समय दिया है. हाईकोर्ट ने स्पष्ट किया कि यदि गंभीरता से जांच नहीं की जाएगी तो अदालत को मजबूरन एसआईटी का गठन कर जांच करवानी पड़ेगी. कोर्ट ने इस मामले में पुलिस स्टेशन औट जिला मंडी में दर्ज एफआईआर की जांच रिपोर्ट का अवलोकन करने के बाद उपरोक्त आदेश पारित किए है. हाईकोर्ट ने जांच की धीमी रफ्तार पर सख्त एतराज किया है.
मामले की सुनवाई के दौरान हाईकोर्ट ने पाया कि इस मामले में संदिग्ध मुख्य आरोपी सुनील कुमार को अदालत के आदेश के बाद गिरफ्तार किया गया और उसे अग्रिम जमानत लेनी पड़ी. कोर्ट ने कहा कि इसके बाद अभी भी जांच में कोई गंभीरता नहीं दिखाई दे रही है. अदालत ने जांच अधिकारी को 2 सप्ताह के भीतर आगामी कार्रवाई में गंभीरता लाने के आदेश दिए हैं. साथ ही अदालत ने मामले की जांच से संबंधित अगली प्रोग्रेस रिपोर्ट 20 जुलाई को कोर्ट के समक्ष पेश करने के आदेश दिए हैं.
गौरतलब है कि फर्जी प्रमाणपत्र के आधार पर नौकरी पाने की शिकायत से जुड़े मामले में एनआईओएस के निदेशक ने विवादित सर्टिफिकेट को फ्रॉड बताया था. इसके बाद कोर्ट ने एनआईओएस के निदेशक से सुनवाई के दौरान पूछा था कि जब इंस्टीट्यूट के फर्जी सर्टिफिकेट का मामला उनके संज्ञान में आता है तो, वे दोषी के खिलाफ क्या एक्शन लेते हैं? अदालत ने पूछा था कि क्या इंस्टीट्यूट की ओर से कोई आपराधिक मामला भी दर्ज किया जाता है.