शिमला: विशेषज्ञ यानी पीजी डॉक्टर्स की कमी से जूझ रहे हिमाचल में एक महत्वपूर्ण घटनाक्रम के तहत सरकार ने हाईकोर्ट को नई नीति की जानकारी दी है. अदालती आदेश के बाद अब सरकार ने पीजी कोर्स में प्रवेश के लिए नई नीति में एक बड़ा प्रावधान किया है. हाईकोर्ट को इस प्रावधान की जानकारी देते हुए राज्य सरकार ने बताया कि ग्रामीण इलाकों में सेवाएं देने वाले एमबीबीएस डॉक्टर्स जब पीजी कोर्स के लिए प्रवेश परीक्षा देंगे तो, उन्हें प्रोत्साहन अंक दिए जाएंगे.
ये प्रोत्साहन अंक ग्रामीण इलाकों में सेवाएं देने के ऑप्शन को चुनने की एवज में दिए जाएंगे. यानी जो एमबीबीएस डॉक्टर्स दूरदराज के क्षेत्रों में सेवाएं देगा, उसे पीजी कोर्स में प्रवेश के लिए प्रोत्साहन अंक मिलेंगे. मामले की सुनवाई कर रहे हाईकोर्ट के न्यायाधीश न्यायमूर्ति संदीप शर्मा के समक्ष राज्य सरकार ने बताया कि कैबिनेट से नई नीति को मंजूरी मिल चुकी है. इस पर न्यायमूर्ति संदीप शर्मा ने मामले की सुनवाई 5 सितंबर को निर्धारित कर दी है.
मामले के अनुसार याचिकाकर्ता डॉक्टर अभिनव अवस्थी ने अदालत को बताया कि एमबीबीएस डॉक्टर्स को प्रदेश के विभिन्न क्षेत्रों में सेवाएं देने के लिए प्रोत्साहन दिया जाता है. इन्हीं में से एक के तहत उन्हें राज्य में पीजी की पढ़ाई के लिए प्रोत्साहित करना भी है. यह प्रथा अरसे से चली आ रही है. वर्ष 2016 में सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद राज्य पीजी नीति में 2017 में संशोधन किया गया था. इसके तहत सेवारत उम्मीदवारों के लिए प्रोत्साहन प्रणाली शुरू की गई और सेवाकालीन कोटा हटा दिया गया. इस नीति को बाद में वर्ष 2019 में आंशिक रूप से संशोधित किया गया, जिससे ग्रामीण क्षेत्रों में तैनात चिकित्सकों को कुछ लाभ मिला.