शिमला:आखिरकार हिमाचल प्रदेश में वर्ष 2017 के बाद शराब ठेकों की नीलामी का फैसला ले ही लिया गया. सत्ता में आने के बाद पहले ही साल में सुखविंदर सिंह सुक्खू सरकार ने आबकारी नीति घोषित की. हिमाचल में वर्ष 2017 से शराब के ठेकों की नीलामी नहीं हो रही थी. जयराम सरकार ने अपने कार्यकाल में हर साल ठेकों को रिन्यू कर काम चलाया. पिछली बार भी चार फीसदी लाइसेंस फीस बढ़ोतरी के साथ शराब ठेके नीलाम कर दिए गए थे. जयराम सरकार ने 2022-23 में शराब ठेकों से 2131 करोड़ रुपए का राजस्व जुटाने का लक्ष्य रखा था.
सोमवार को सुखविंदर सिंह सुक्खू सरकार ने कैबिनेट मीटिंग में पहले इस बात पर विचार किया कि क्या शराब ठेकों का फिर से रिन्यूवल कर दिया जाए या फिर ठेकों की नीलामी की जाए. विस्तार से सभी पहलुओं पर विचार के बाद ये तय किया गया कि शराब ठेकों की नीलामी यानी ऑक्शन ही बेहतर फैसला होगा. इसके बाद कैबिनेट ने सहमति से नीलामी का फैसला लिया. राज्य सरकार को उम्मीद है कि शराब ठेकों की नीलामी से संभवत: 3000 करोड़ तक का राजस्व सालाना मिल सकेगा.
हिमाचल प्रदेश में इससे पहले भी कांग्रेस सरकार के ही समय में वर्ष 2016 में नीलामी हुई थी. तब प्रदेश में वीरभद्र सिंह के नेतृत्व में कांग्रेस सरकार सत्तासीन थी. ये वित्त वर्ष 2017-18 के लिए थी. उसके बाद से आबकारी नीति के तहत ठेकों को रिन्यू कर दिया जाता था. अलबत्ता वीरभद्र सिंह सरकार के ही समय में राज्य सरकार ने शराब की बिक्री अपने हाथ में ले ली और इसके लिए बाकायदा सरकारी कंपनी बनाई गई. इस कंपनी का नाम हिमाचल प्रदेश बीवरेजिज लिमिटेड रखा गया और एक आईएएस अधिकारी को इस कंपनी का जिम्मा सौंपा गया था. तब वीरभद्र सिंह सरकार के इस फैसले की काफी आलोचना हुई थी और विपक्ष ने भारी विरोध भी किया था.
हर सरकार को पसंद है शराब कारोबार: हिमाचल में राजस्व का बड़ा जरिया शराब बिक्री है. शराब की बिक्री से मिलने वाले राजस्व के लिए सरकारें कैसे-कैसे काम करती है, इसका एक दिलचस्प उदाहरण पूर्व की वीरभद्र सिंह सरकार के समय में वर्ष 2017 में देखने को मिला था. सुप्रीम कोर्ट ने आदेश दिया था कि स्टेट हाईवे पर सडक़ किनारे स्थापित शराब ठेके हटाने होंगे. राज्य सरकार ने तुरंत इसका तोड़ निकाला और स्टेट हाईवे को डी-नोटिफाई कर उन्हें मेजर डिस्ट्रिक्ट रोड यानी एमडीआर का दर्जा दे दिया. इस तरह स्टेट हाईवे के किनारे स्थापित अस्सी शराब के ठेके बच गए. हिमाचल में कुल 18 स्टेट हाईवे थे, जिनमें से सरकार ने 2017 में 16 को डी-नोटिफाई कर दिया और अस्सी शराब के ठेके हटाने से बचा लिए.