शिमला: हिमाचल प्रदेश स्कूल शिक्षा बोर्ड के तहत आने वाली पहली से 12वीं कक्षा का सिलेबस 30 प्रतिशत कम कर दिया जाएगा. अब पहली से 12वीं कक्षा की परीक्षाएं 70 प्रतिशत सिलेबस के आधार पर ही होंगी. साथ ही साथ ऑप्शनल सवालों की संख्या भी 30 प्रतिशत बढ़ा दी जाएगी. जिससे बच्चों को परीक्षा में अधिक विकल्प मिल सकेंगे. इसके अलावा 30 प्रतिशत पाठ्यक्रम जो की परीक्षाओं में नहीं आएगा, उसे इंटरनल एसेसमेंट में पूछा जाएगा.
शिक्षा मंत्री गोविंद ठाकुर ने कहा कि शीतकालीन स्कूलों में सर्दियों की छुट्टियां भी रद्द कर दी गई है. अब स्कूल शिक्षा बोर्ड की सभी परीक्षाएं मार्च महीने में ही आयोजित होंगी. दिसंबर महीने में परीक्षाएं आयोजित नहीं की जाएंगी. शिक्षा मंत्री ने कहा कि इससे एक ओर जहां अध्यापकों को सिलेबस कवर करने में अधिक समय मिलेगा.
वहीं, कोरोना संकट से भी तब तक निजात मिलने की उम्मीद जताई जा रही है. ऐसे में शीतकालीन स्कूलों में जहां पहले परीक्षाएं होती थी, वह अब रद्द कर दी गई हैं. उन्होंने कहा कि शिक्षा विभाग के आला अधिकारियों के साथ बैठक के दौरान यह निर्णय भी लिया गया है कि दूसरे शनिवार की छुट्टी भी आने वाले समय में नहीं होगी. उस दिन भी ऑनलाइन कक्षाएं ली जाएंगी.
शिक्षा मंत्री ने कहा कि हालांकि परीक्षाएं 70 प्रतिशत सिलेबस में से ही आएंगी, लेकिन अध्यापक पूरा सिलेबस कवर करेंगे. इसलिए बचा हुआ 30 प्रतिशत सिलेबस से इंटरनल एसेसमेंट जोड़ा जाएगा, ताकि छात्र उसका भी गंभीरता से अध्ययन करें.
शिक्षा मंत्री ने कहा कि पांच सितंबर को आयोजित होने वाला राज्य स्तरीय शिक्षक दिवस समारोह पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी के निधन के चलते रद्द कर दिया गया है. अब यह समारोह 5 अक्टूबर को विश्व शिक्षक दिवस के अवसर पर आयोजित किया जाएगा.
शिक्षा मंत्री गोविंद ठाकुर ने कहा कि कोरोना के कारण अनेक प्रकार की कठिनाइयों का सामना सभी को करना पड़ रहा है. 22 मार्च के बाद लगातार स्कूल कॉलेज बंद रहे, लेकिन साथ में बच्चों को पढ़ाने का काम ऑनलाइन जारी रहा. साथ ही जहां संभव हो सका वहां बच्चों को नोट्स भी उपलब्ध करवाए गए.
शिक्षा मंत्री ने कहा कि सीबीएसई की ओर से यह गाइडलाइन आई है कि सिलेबस में 30 प्रतिशत की कटौती कर दी जाए. इसी बात को ध्यान में रखते हुए हिमाचल प्रदेश स्कूल शिक्षा बोर्ड की एक कमेटी का गठन किया गया. जिसकी अध्यक्षता शिक्षा बोर्ड के चेयरमैन ने की इस कमेटी में विषय विशेषज्ञ को भी शामिल किया गया. जिसके बाद सरकार को रिपोर्ट पेश की गई.
शिक्षा जगत से जुड़े हुए डिप्टी डायरेक्टर प्रिंसिपल और सब्जेक्ट एक्सपोर्ट से भी वर्चुअल माध्यम से सुझाव लिए. कुल मिलाकर वर्चुअल माध्यम से 315 लोगों के सुझाव दिए गए. जिसमें यह निकल कर सामने आया कि अब पहली से बाहर भी तक 30 प्रतिशत पेपर के हिसाब से सलेब्स में कटौती की जाएगी, लेकिन अध्यापक पूरे ही सिलेबस को पढ़ाएगा और जो परीक्षाओं में नहीं आएगा, उस 30 प्रतिशत को इंटरनल एसेसमेंट में जोड़ा जाएगा.
इसका मुख्य उद्देश्य यह है कि बच्चों को अधिक मानसिक तनाव ना झेलना पड़े. इसी बात को ध्यान में रखते हुए परीक्षाओं में प्रतिशत अतिरिक्त ऑप्शनल सवाल डाले जाएंगे. जिससे बच्चों को परीक्षाएं करने में और आसानी हो सके. गोविंद ठाकुर ने कहा कि इसके अलावा बच्चों की पढ़ाई के लिए लगभग 55 से 60 दिन कैसे बढ़ाया जा सके इसके ऊपर भी विचार किया गया.
इसी कारण विंटर क्लोजिंग नहीं की जाएगी. सभी परीक्षाएं मार्च में ही की जाएंगी और प्रैक्टिकल अप्रैल के महीने में किए जाएंगे. आगे आने वाले दिनों में जब हालात सामान्य होंगे तो शनिवार के दिन भी छुट्टी नहीं की जाएगी. इससे बच्चों की पढ़ाई भी प्रभावित होने से बच जाएगी और अधिक टीचिंग डे बढ़ सकेंगे.
पढ़ें:शिमला होम आइसोलेशन में रखे गए जा रहे हैं कोरोना संक्रमित, लोग भी मान रहे बेहतर विकल्प: DC