शिमला:शिमला: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अगर आरसीईपी (क्षेत्रीय समग्र आर्थिक समझौता) में शामिल होने की बात स्वीकार कर लेते तो देश के साथ-साथ हिमाचल प्रदेश के किसानों पर भी इसके बुरा असर पड़ता.
प्रदेश की आर्थिकी में सेब की महत्वपूर्ण भूमिका है. भारत के आरसीईपी में शामिल होने से सेब पर जीरो प्रतिशत आयात शुल्क हो जाता जिससे प्रदेश में उगने वाले सेब की कीमत देश की मार्केट में बहुत कम होती और दामों में भारी गिरावट होती. ऐसी स्थिति में बागवानों का सेब की फसल के सहारे आजीविका कमाना नामुनकिन हो जाता. यह बात प्रसिद्ध कृषि विशेषज्ञ देवेंद्र शर्मा ने कही.
आरसीईपी के प्रावधान है कि 90 से अधिक वस्तुओं पर आयात शुल्क जीरो प्रतिशत करने का प्रावधान है, अगर भारत आरसीईपी पर साइन कर देता और इस संधि को अपना लेता तो इससे किसान और छोटे और मध्यम वर्ग के उद्योग दोनों ही बुरी प्रभावित होते.
आरसीईपी के मुद्दे पर केरल के विधायकों को संबोधित करने के बाद शिमला पहुंचे देवेंद्र शर्मा ने कहा कि यदि यह संधि देशों के सरकारों के बीच होनी थी किसी भी प्रभावित वर्ग का इसमें कोई भूमिका नहीं थी, लेकिन अगर भारत इस संधि को स्वीकार कर लेता को किसानों, बागवानों और छोटे तथा मध्यम वर्ग के उद्योगों पर इसका खासा असर पड़ता. भारत ने इस संधि में शामिल ना होकर अच्छा कदम उठाया है.