शिमला: प्रदेश में आयोजित होने वाले आयोजनों में सोशल डिस्टेंसिंग ना होने के सवाल पर शिक्षा मंत्री सुरेश भारद्वाज का कहना है कि जब अनलॉक किया गया है तो उसमें कुछ एक दिक्कतें सोशल डिस्टेंसिंग को लेकर आना लाजमी है.
उन्होंने कहा कि हिमाचल प्रदेश में विशेष रूप से इस कोरोना वायरस की रोकथाम के लिए जितनी रिस्ट्रिक्शन प्रदेश सरकार ने लगाई है वह नेशनल गाइडलाइन से ज्यादा है. यही वजह भी है कि आज हिमाचल में कोरोना से होने वाली मौत का आंकड़ा सबसे कम है और रिकवरी रेट हिंदुस्तान के सभी राज्यों से ज्यादा है.
शिक्षा मंत्री ने कहा कि प्रदेश में जो मौतें हुई हैं उनके पीछे की वजह भी कोरोना नहीं है बल्कि उनके पीछे के कारण भी कुछ और हैं, हालांकि उन्होंने यह अपील भी की कि हमें सोशल डिस्टेंसिंग को बनाए रखने के लिए साथ ही मास्क पहनना और आरोग्य सेतु एप को डाउनलोड करना चाहिए.
जिससे कि कोरोना से बचा जा सके और प्रदेश को भी सुरक्षित रखा जा सके. वहीं शिक्षा मंत्री ने यूजी के छठे समेस्टर परीक्षाओं को लेकर कहा की यूजीसी और एमएचआरडी की गाइडलाइंस के तहत यह तय किया गया है कि यूजी के छठे और अंतिम स्तर की परीक्षाएं करवाना अनिवार्य है. छात्रों को बिना परीक्षा करवाएं डिग्री नहीं दी जा सकती है.
शिक्षा मंत्री ने कहा कि कोरोना की स्थिति हमेशा के लिए नहीं रहेगी लेकिन अगर छात्रों को बिना परीक्षाओं के प्रमोट किया जाता है तो इससे उनकी डिग्री पर प्रमोटेड शब्द लिखा जाएगा जो उनके भविष्य के लिए बाधा बन सकता है.
ऐसे में यूजीसी की गाइडलाइन को देखते हुए ही दिल्ली सरकार ओर पंजाब जो पहले परीक्षा नहीं करवा रही थी अब वहां पर भी परीक्षाएं करवाई जा रही हैं. इसी को देखते हुए प्रदेश में भी पहले से यह तय कर लिया गया था कि यूजी के फाइनल सेमेस्टर की परीक्षाएं करवाई जाएंगी और वहीं पहले और दूसरे वर्ष की परीक्षाओं को लेकर चर्चा विश्वविद्यालय के साथ करने के बाद फैसला लिया जायेगा.
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