शिमला: विधानसभा के बजट सत्र में आज आर्थिक सर्वेक्षण पेश किया जाएगा. आर्थिक सर्वेक्षण में प्रदेश की स्थिति के बारे में बताया जाएगा. आर्थिक सर्वेक्षण की रिपोर्ट पेश करने के बाद सीएम जयराम ठाकुर शुक्रवार को सदन में बजट पेश करेंगे.
जयराम सरकार का ये तीसरा बजट है. आर्थिक जानकारों का कहना है कि बजट में इस बार 10 फीसदी का इजाफा हो सकता है. जयराम सरकार ने वर्ष 2018-19 में 41,440 करोड़ और 2019-20 में 44,387.73 करोड़ का बजट पेश किया था. इसमे कुल 7,352 करोड़ का राजकोषीय घाटा था. 2018-19 के बजट की तुलना में 2019-20 के बजट में सात फीसदी यानी 2,948 करोड़ रुपये की बढ़ोतरी हुई थी.
इस बार हिमाचल का बजट 50 हजार करोड़ के आस-पास हो सकता है. सरकार ने बजट तैयार करने से पहले जनता से कुछ सुझाव भी मांगे थे. माना जा रहा है कि प्रदेश के बजट में केंद्रीय बजट की छाप देखने को मिल सकती है.
बता दें कि वित्त वर्ष 2019-20 में वित्तीय घाटा 7352 करोड़ आंका गया था. वित्त वर्ष 2020-21 के बजट में भी वित्तीय घाटा दर्शाया जाएगा. राज्य के बोर्ड और निगमों का घाटा 3600 करोड़ से ऊपर चला गया है, लेकिन घाटे में चल रहे ऐसे बोर्डों और निगमों में न तो कोई सुधार हो रहा है और न ही सरकार इन्हें बंद करने की कोई योजना अभी तक बना सकी है. राज्य के बजट में से 10.25 प्रतिशत राशि कर्जों का ब्याज चुकाने और 7.35 प्रतिशत राशि कर्ज अदायगी करने में खर्च जाती है. जिस प्रकार से कर्ज बढ़ते जा रहे हैं उससे बजट में इस हिस्से की भी बढ़ौतरी होगी जिससे आने वाले समय में राज्य के विकास कार्य प्रभावित होंगे.
बजट में कर्मचारियों-पेंशनरों को कई लाभ दिए जा सकते हैं. बजट का एक बड़ा हिस्सा कर्मचारियों और पेंशनरों पर खर्च होता है. इसके अलावा विकास कार्यों के लिए भी बजट में कई महत्वपूर्ण प्रावधान किए जा सकते हैं. केंद्रीय बजट का अनुकरण करते हुए जयराम सरकार का यह बजट भी टैक्स फ्री हो सकता है. इसके अलावा किसानों-बागवानों के लिए भी कई नई योजनाओं की घोषणाएं की जा सकती हैं.
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