शिमला:सत्ता के साथ संवेदनाओं का संयोग हो जाए तो पीड़ित मानवता की सेवा का मार्ग प्रशस्त हो जाता है. हिमाचल प्रदेश के सीएम सुखविंदर सिंह सुक्खू (CM sukhvinder singh sukhu) ने अल्प समय में ही सत्ता और संवेदना का संयोग प्रदर्शित किया है. सत्ता संभालने के बाद नए साल में नए फैसले से सीएम सुखविंदर सिंह ने उम्मीद की किरण दिखाई है. निराश्रित बच्चों, युवक-युवतियों व एकल नारियों के लिए सुख आश्रय योजना इसका प्रमाण (mukhyamantri sukhashraya kosh) है.
यहां जिज्ञासा पैदा होती है कि सीएम सुखविंदर सिंह को निराश्रित बच्चों से स्नेह क्यों है? मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह ने रविवार को नए साल के पहले दिन शिमला में मीडिया से बातचीत के दौरान इसका खुलासा किया. एक सवाल के जवाब में सीएम ने कहा कि जब वे कॉलेज में अध्ययनरत थे तो दीवाली के दिन एक निराश्रित सहपाठी ने त्यौहार के दौरान अपने बेसहारा होने और घर न होने का दर्द साझा किया. सीएम ने कहा कि वे अपने ऐसे सहपाठियों को साथ घर ले आया करते थे. तब उस सहपाठी ने कहा था कि मैं अकेला नहीं हूं, मेरे जैसे चालीस और साथी हैं.
सीएम ने कहा कि निराश्रित बच्चों को स्नेह नहीं मिलता. उनके मन में ये भाव रहता है कि उनका कोई घर नहीं है. सीएम ने खुलासा किया कि उन्होंने कॉलेज में पढ़ाई के दौरान ये संकल्प ले लिया था कि जीवन में कभी मौका मिला तो ऐसे बच्चों के लिए जरूर कुछ करूंगा. अब वे राज्य के मुखिया हैं और मौका मिलते ही उनके कल्याण के लिए काम करने का सुख हासिल हुआ है. सीएम ने दोहराया कि ये ऐसे बच्चों पर कोई अहसान या करूणा के वशीभूत किया गया काम नहीं है, वरन उन बच्चों का हक है.