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अटल टनल से बदल जाएगी हिमाचल की आर्थिक तस्वीर, एडवेंचर टूरिज्म को लगेंगे पंख

तीन अक्टूबर को अटल रोहतांग टनल का लोकार्पण पीएम मोदी करेंगे. दो दशक पूर्व देखा गए सपने के धरातल पर उतरने से भारतीय सेना को सामरिक दृष्टि से संजीवनी मिलेगी और साथ ही हिमाचल की आर्थिक तस्वीर भी बदलेगी. अटल टनल बन जाने से लाहौल घाटी में टूरिज्म बढ़ेगा और साथ ही जीडीपी में इसका योगदान भी. छह महीने तक शेष विश्व से कटी रहने वाली लाहौल घाटी सारा साल आवागमन के लिए खुली रहेगी. लाहौल का आलू और अन्य स्थानीय उत्पाद अब आसानी से बाजार तक पहुंचेंगे.

Atal Tunnel Rohtang
अटल टनल रोहतांग

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Published : Sep 29, 2020, 8:46 PM IST

Updated : Oct 2, 2020, 10:38 PM IST

शिमला: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी तीन अक्टूबर को अटल रोहतांग टनल का लोकार्पण करेंगे. दो दशक पूर्व देखे गए सपने के धरातल पर उतरने से भारतीय सेना को सामरिक दृष्टि से संजीवनी मिलेगी और साथ ही हिमाचल की आर्थिक तस्वीर भी बदलेगी.

ट्राइबल टूरिज्म, एडवेंचर टूरिज्म के साथ ही स्थानीय जनता की किस्मत भी चमक उठेगी. हिमाचल का विख्यात पर्यटन स्थल मनाली समूचे उत्तर भारत में बेस्ट टूरिज्म डेस्टीनेशन बनकर उभरेगा. इस समय हिमाचल की जीडीपी में पर्यटन का योगदान 6.9 फीसदी है.

अटल टनल बन जाने से टूरिज्म बढ़ेगा और साथ ही जीडीपी में इसका योगदान भी. छह महीने तक शेष विश्व से कटी रहने वाली लाहौल घाटी सारा साल आवागमन के लिए खुली रहेगी. लाहौल का आलू और अन्य स्थानीय उत्पाद अब आसानी से बाजार तक पहुंचेंगे.

वीडियो रिपोर्ट.

बड़ी बात ये है कि स्थानीय लोगों का रोजगार के लिए कुल्लू व अन्य स्थानों पर पलायन थमेगा. हिमाचल सरकार के तकनीकी शिक्षा मंत्री और लाहौल-स्पीति के विधायक डॉ. रामलाल मारकंडा के अनुसार सबसे अधिक लाभ टूरिज्म सेक्टर को मिलेगा.

फोटो.

पर्यटकों की आमद बढ़ाएगी अटल टनल

हिमाचल सरकार ने राज्य में साल भर में दो करोड़ सैलानियों की आमद का लक्ष्य रखा है. पिछले पांच साल के आंकड़ों पर नजर दौड़ाएं तो राज्य में औसतन पौने दो करोड़ सैलानी आ रहे हैं. लाहौल घाटी के सारा साल शेष विश्व से जुड़े रहने के बाद सैलानियों की संख्या बढ़ेगी. प्रदेश में बेस्ट टूरिज्म डेस्टीनेशन के तौर पर मनाली का नाम चर्चित है.

अटल टनल रोहतांग का प्रेवश द्वार.

मनाली व नग्गर में हिमाचल प्रदेश पर्यटन विकास निगम के होटलों सहित बड़ी संख्या में निजी होटल व रिसार्ट हैं. अटल टनल बनने से सैलानियों की संख्या तेजी से बढ़ेगी. लाहौल घाटी में जिला मुख्यालय केलंग तक जाने के लिए मनाली से सुविधा हो जाएगी. मनाली से केलंग का सफर दो घंटे का रहेगा.

अटल टनल रोहतांग में स्पीड लिमिट.

टनल बनने से 46 किलोमीटर के करीब सफर कम हो जाएगा. अब मनाली से जिला मुख्यालय केलंग की दूरी महज 70 किलोमीटर रह जाएगी. मनाली से लाहौल जाकर सैर सपाटा कर वापिस आ सकते हैं. खास बात ये है कि अटल टनल की इंजीनियरिंग का कमाल देखने के लिए सैलानियों की संख्या बढ़ेगी.

लहौल घाटी में बढ़ेगा पर्यटन

लाहौल घाटी में पर्यटन के लिए कई आकर्षण हैं. यहां शासुर बौद्ध गोम्पा, ड्रिलबुरी गोम्पा हैं. इसके अलावा त्रिलोकनाथ मंदिर व मृकुला माता मंदिर, राजा घेपन का मंदिर बड़े आकर्षण हैं. ट्रैकिंग रूट अलग से हैं, जिनकी सुंदरता अनूठी है. चंद्रा वैली, पट्टन वैली, गाहर वैली व जिस्पा का प्राकृतिक सौंदर्य अनुपम है.

फोटो.

वैसे तो अटल टनल के निर्माण का सपना पूर्व पीएम स्व. इंदिरा गांधी ने देखा था, लेकिन इसे धरातल पर उतारने का काम अटल बिहारी वाजपेयी ने किया. अब ये सपना नरेंद्र मोदी सरकार के कार्यकाल में पूरा हुआ है.

वाजपेयी ने 2 जून 2002 को लाहुल-स्पीति के जिला मुख्यालय केलंग में इसकी विधिवत घोषणा की. अटल टनल के साउथ पोर्टल तक सडक़ का भी निर्माण भी वाजपेयी के कार्यकाल में ही हुआ था. अब ये विश्व की सबसे लंबी सुरंग के तौर पर दर्ज है.

अटल टनल रोहतांग का प्रेवश द्वार.

दोस्ती की 'अटल' मिसाल है ये टनल

दो लोगों की दोस्ती में एक-दूसरे को छोटे-छोटे स्नेह से भरे तोहफे देना आम बात है, लेकिन एक मित्र यदि देश का मुखिया बन जाए तो तोहफा कितना बड़ा हो जाता है, इसे रोहतांग टनल के उदाहरण से समझा जा सकता है. भारत के महान नेताओं में शुमार पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने अपने किशोरावस्था के मित्र टशी दावा के मांगने पर एक ऐसा तोहफा दिया, जो अब देश के लिए वरदान साबित होगा. ये तोहफा रोहतांग टनल के रूप में है.

टनल का प्रवेश द्वार. फाइल

अब रोहतांग टनल का लोकार्पण होगा. उम्मीद जताई जा रही है कि अगले साल फरवरी में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी मनाली से लाहौल इसी सुरंग के जरिए जाएं. आइए, यहां पूर्व प्रधानमंत्री और भाजपा के अग्रणी नेता अटल बिहारी वाजपेयी और उनके मित्र टशी दावा की दोस्ती के प्रतीक इस प्रोजेक्ट की नींव का जिक्र करते हैं.

आजादी से पहले टशी दावा और अटल बिहारी वाजपेयी आरएसएस में साथ-साथ सक्रिय थे. वर्ष 1942 में संघ के एक प्रशिक्षण शिविर में दावा अटल बिहारी वाजपेयी से मिले थे. ये प्रशिक्षण शिविर गुजरात के बड़ोदरा में आयोजित हुआ था. इसी शिविर में दोनों की गहरी दोस्ती हो गई. बाद में टशी दावा को अटल बिहारी वाजपेयी से मिलने का मौका नहीं मिला.

टशी दावा लाहौल के ठोलंग गांव के रहने वाले थे. उनके मन में लाहौल घाटी की कठिन जिंदगी को लेकर पीड़ा थी. बर्फबारी के दौरान लाहौल घाटी छह महीने तक शेष दुनिया से कट जाती थी. जिंदगी बहुत दुश्वार थी. खासकर बीमार लोगों को स्वास्थ्य सुविधा नहीं मिल पाती थी. यदि लाहौल घाटी को मनाली से सुरंग के जरिए जोड़ दिया जाता तो ये सारी समस्याएं दूर हो सकती थीं.

फोटो.

इसी विचार को लेकर टशी दावा अपने दोस्त और तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी से मिलने के लिए वर्ष 1998 में दिल्ली पहुंचे. टशी दावा उर्फ अर्जुन गोपाल अपने दो सहयोगियों छेरिंग दोर्जे और अभयचंद राणा को साथ लेकर दिल्ली पहुंचे.

दावा ने लाहौल-स्पीति एवं पांगी जनजातीय कल्याण समिति का गठन किया था. तीन साल तक इस समिति ने पीएम अटल बिहारी वाजपेयी से रोहतांग टनल बनाने को लेकर पत्राचार किया था. प्रधानमंत्री के तौर पर अटल बिहारी वाजपेयी 1998 के बाद केलांग के दौरे पर आए और रोहतांग टनल के निर्माण की घोषणा की.

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Last Updated : Oct 2, 2020, 10:38 PM IST

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