शिमला:अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद ने नियामक आयोग के अध्यक्ष अतुल कौशिक को ज्ञापन सौंपा और उनके समक्ष कई मांगें रखी. प्रांत मंत्री राहुल राणा ने बताया कि जिन चार निजी विश्वविद्यालय के दाखिले इस बार आयोग ने रद्द किए थे, उन निजी विश्वविद्यालय के ऊपर जांच कमेटी का गठन किया जाए.
साथ ही इनमें अभी भी अनियमितताएं पाई जाने पर इन विश्वविद्यालय की मान्यता रद्द की जाए. इसके अलावा विश्वविद्यालय के अंदर एडमिनिस्ट्रेटर की नियुक्ति की जाए.
मानव भारती और इंडस यूनिवर्सिटी ने अपने रेगुलर कर्मचारियों को एक ही समय पर रेगुलर प्रोफेशनल डिग्री गैरकानूनी तरीके से प्रदान कर दी है. इस पर एबीवीपी ने इन डिग्रियों को रद्द करने की मांग की है. साथ ही इन विश्वविद्यालयों के ऊपर भारी जुर्माना लगाया जाए, ताकि यह विश्वविद्यालय आगे ऐसे गैर कानूनी काम ना करें.
विद्यार्थी परिषद का कहना है कि करोना काल में निजी विश्वविद्यालयों ने छात्रों से भारी फीस वसूली है. इनमें ट्रांसपोर्टेशन फीस, मैस फीस और हॉस्टल फीस शामिल है. कोरोना काल में छात्रों ने ट्रांसपोर्टेशन का इस्तेमाल नहीं किया है. इसके बावजूद भी छात्रों से फीस वसूली गई.
विद्यार्थी परिषद ने मांग की है कि छात्र हित में फैसला लेते हुए सभी निजी विश्वविद्यालय को लॉकडाउन के दौरान छात्रों से ली गई ट्यूशन फीस के अलावा ली गई हर फीस को वापस करने के आदेश दिए जाएं. परिषद का मानना है कि निजी विश्वविद्यालय अपने कर्मचारियों को वेतन समय पर नहीं दे रही है. लॉकडाउन के दौरान भी कर्मचारियों का वेतन नहीं दिया गया, जिसका सीधा असर छात्रों की पढ़ाई पर पड़ रहा है.
विद्यार्थी परिषद का मानना है कि कड़े कानून बनाए जाएं, ताकि अध्यापकों की सैलरी समय पर आए और शिक्षा की गुणवत्ता बनी रहे. राहुल राणा ने कहा कि कुछ निजी विश्वविद्यालय को नियामक आयोग ने अध्यापकों की सैलरी और सिक्योरिटी वापिस देने, छात्रों को उनकी सिक्योरिटी देने को लेकर आदेश दिए हैं. वहीं, नियामक आयोग के आदेश के बाद भी निजी विश्वविद्यालय अपनी मनमानी कर रहा है और छात्रों की सिक्योरिटी फीस को वापिस नहीं लौटा रहा है.
हाल ही में इंडस यूनिवर्सिटी में एक अध्यापक फर्जी डिग्री के साथ पाया गया था. इस पर नियामक आयोग ने इंडस यूनिवर्सिटी को अध्यापक के ऊपर एफआईआर दर्ज करने के आदेश दिए थे, लेकिन 4 महीने बीतने के बाद भी इंडस यूनिवर्सिटी ने कर्मचारी पर एफआईआर दर्ज नहीं करवाई.
विद्यार्थी परिषद ने मांग की है कि आयोग जल्दी इन विश्वविद्यालय के ऊपर कार्रवाई करें. ऐसा न करने पर विद्यार्थी परिषद को मजबूरन नियामक आयोग के खिलाफ सड़कों पर उतरना पड़ेगा.
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