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जम्मू कश्मीर से धारा 370 हटाने को ABVP ने बताया ऐतिहासिक कदम, सरकार के फैसले का किया स्वागत

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Published : Aug 5, 2019, 10:36 PM IST

राहुल राणा ने कहा कि सरकार के इस फैसले से अपने ही देश में शरणार्थी का जीवन जीने के लिए मजबूर कश्मीरी पंडितों को भी न्याय की आस जगी है और अपने जीवन काल में अपने गांव देश घर का मुख देख पाने का अवसर मिल पाएगा. उन्होंने कहा कि अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद 11 सितंबर 1990 में चलो कश्मीर आंदोलन जिसने हजारों विद्यार्थियों ने भाग लिया और लगातार धारा 370 को हटाने के लिए आंदोलन कर रही है. यह कदम लाखों विद्यार्थियों की उस आंदोलन की जीत है.

एबीवीपी प्रांत मंत्री राहुल राणा

शिमला: अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद राष्ट्रपति आदेश से जम्मू कश्मीर से स्थाई अनुच्छेद 370 को हटाने के फैसले को ऐतिहासिक फैसला करार देते हुए इसका स्वागत किया है. एबीवीपी प्रांत मंत्री राहुल राणा ने कहा कि इस कदम से जम्मू कश्मीर की अनुसूचित जाति जनजाति पिछड़े वर्ग और अल्पसंख्यकों को आरक्षण का लाभ मिल पाएगा. जिससे उन्हें समाज की मुख्यधारा से जुड़ने के अवसर प्राप्त होंगे. इसके साथ ही लंबे समय से दुर्लभ लद्दाख क्षेत्र 1 केंद्र शासित प्रदेश के रूप में विकास के नए आयामों को छू सकेगा.

राहुल राणा ने कहा कि सरकार के इस फैसले से अपने ही देश में शरणार्थी का जीवन जीने के लिए मजबूर कश्मीरी पंडितों को भी न्याय की आस जगी है और अपने जीवन काल में अपने गांव देश घर का मुख देख पाने का अवसर मिल पाएगा. उन्होंने कहा कि अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद 11 सितंबर 1990 में चलो कश्मीर आंदोलन जिसने हजारों विद्यार्थियों ने भाग लिया और लगातार धारा 370 को हटाने के लिए आंदोलन कर रही है. यह कदम लाखों विद्यार्थियों की उस आंदोलन की जीत है. अनुच्छेद 370 हटाने पर अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के प्रान्त मंत्री राहुल राणा ने राष्ट्र को अपने हार्दिक शुभकामनाएं प्रेषित की साथ ही कश्मीर आंदोलन में संघर्षरत उन सभी कार्यकर्ताओं के संघर्ष को भी स्मरण किया.

एबीवीपी प्रांत मंत्री राहुल राणा

राहुल राणा ने कहा कि भारत की एकता और अखंडता को स्थापित करने में महत्त्वपूर्ण हस्ताक्षर श्यामा प्रसाद मुखर्जी और संविधान निर्माता बाबा साहेब अंबेडकर को ओर भारत राष्ट्र की सुरक्षा सुनिश्चित करने हेतु अपने प्राणों को न्योछावर करने वाले वीर शहीद सैनिकों को यह महत्वपूर्ण कदम वास्तविक श्रद्धांजलि है. जिस प्रकार महान नेता श्यामा प्रसाद मुखर्जी ने एक देश में दो निशान और दो विधान का विरोध करते हुए जम्मू कश्मीर के वास्तविक विलय की वकालत करते हुए अपने प्राणों को भारत माता की अखंडता को बनाए रखने के प्रयासों में अपने प्राणों का उत्सर्ग किया था. आज उनके सपनों को जमीनी हकीकत देने वाला यह फैसला हुआ है जो स्वागत योग्य है.

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