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कोरोना से बदल रहा है कुछ मरीजों का व्यवहार, IGMC में वैटनरी डॉक्टर ने काटी अपनी हाथ की नसें

आईजीएमसी में कोरोना संक्रमित वैटनरी डॉक्टर ने अपने बाएं हाथ की नसें काट ली हैं. डॉक्टर कोरोना संक्रमित है, वे अस्पताल के कोरोना वार्ड में उपचाराधीन है. प्रशासन के मुताबिक डॉक्टर ने बुधवार को सुबह साढ़े पांच बजे अपने बाएं हाथ की नसें काट ली. इसकी सूचना प्रशासन को मिलते ही सबसे पहले डॉक्टर का इलाज करवाया. अब मरीज की हालत स्थिर है.

igmc shimla news, आईजीएमसी शिमला न्यूज
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Published : Apr 8, 2021, 5:44 PM IST

Updated : Apr 8, 2021, 6:49 PM IST

शिमला: राज्य के सबसे बड़े अस्पताल आईजीएमसी में कोरोना संक्रमित वैटनरी डॉक्टर ने अपने बाएं हाथ की नसें काट ली हैं. डॉक्टर कोरोना संक्रमित है, वे अस्पताल के कोरोना वार्ड में उपचाराधीन है. डॉक्टर के माता पिता दोनों ही कोरोना संक्रमित हैं. इनकी देखरेख के लिए ही डॉक्टर ने खुद को अस्पताल में भर्ती करवाया था.

डॉक्टर के माता पिता दोनों ही अब स्वस्थ हैं. प्रशासन के मुताबिक डॉक्टर ने बुधवार को सुबह साढ़े पांच बजे अपने बाएं हाथ की नसें काट ली. इसकी सूचना प्रशासन को मिलते ही सबसे पहले डॉक्टर का इलाज करवाया. अब मरीज की हालत स्थिर है और किसी तरह के बड़े नुकसान की कोई आशंका नहीं हैं.

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डॉक्टर कोरोना संक्रमित होने के बावजूद ज्यादा बीमार नहीं था, महज माता पिता की देखरेख के लिए खुद को कोरोना वार्ड में भर्ती करवाया था. अस्पताल प्रशासन की ओर से इस मामले की एफआईआर पुलिस में करवा दी है. विभाग के मुखिया की तरफ से पुलिस में प्राथमिकी दर्ज करवाई है.

डॉक्टर की हालत स्थिर है

वैटनरी डॉक्टर कुसुम्पटी का रहने वाला है और पांच अप्रैल को कोरोना संक्रमित माता पिता के साथ ही कोरोना वार्ड में भर्ती हुआ था. अस्पताल के प्रशासनिक अधिकारी डॉ. राहुल गुप्तन ने बताया कि अब डॉक्टर की हालत स्थिर है. इलाज के बाद किसी तरह का कोई खतरा नहीं हैं.

नसें काटने वाला डॉक्टर अपने घर से भर्ती होने के समय ही कुछ तेजधार सामान लाया था. हालांकि ये सामान सालाद या फल काटने के लिए लाया गया था. इसका इस्तेमाल करते हुए हाथ की नसों को काटा गया है.

कोरोना संक्रमित होने पर बदल रहा है मरीजों का व्यवहार: डॉ. राहुल

राहुल गुप्ता ने कहा कि कोरोना संक्रमित मरीजों में खून जमने की शिकायतें आती है. कुछ मरीजों के दिमाग में भी खून जमने से उनका व्यवहार बदल जाता है. ऐसे में मरीज को ऐसी चीजे दिखती हैं. जो महज कल्पना में ही दिखाई देते हैं. इसके डर से ही मरीज खुद को नुकसान पहुंचाते हैं. इस मरीज के साथ भी ऐसा ही हुआ. अब मरीज की हालत ठीक है.

पहले रिपन में महिला मरीज ने की थी आत्महत्या

शहर में पहले भी एक कोरोना मरीज ने आत्म हत्या की थी. इस मामले में भी मरीज का मानसिक तौर पर काफी परेशान होना ही बताया गया था. हालांकि इस पूरे मामले की जांच के बाद रिपन अस्पताल के तत्कालीन प्रशासनिक अधिकारियों को भी बदलने का फैसला लिया था.

Last Updated : Apr 8, 2021, 6:49 PM IST

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