मंडी: भोले बाबा की नगरी छोटी काशी मंडी में अंतरराष्ट्रीय शिवरात्रि महोत्सव का आगाज होने वाला है. ऐसे में शिवरात्रि महोत्सव को लेकर प्रशासन ने तमाम इंतजाम पूरे कर लिए हैं. छोटी काशी को फूल मालाओं से सजाया जा रहा है. इस बार छोटी काशी में शिवरात्रि महोत्सव 19 से 25 फरवरी तक मनाया जाएगा. जिला मंडी बाबा भोले की नगरी रही है और रियासत काल से ही शिवरात्रि का पर्व यहां मनाया जा रहा है. इस बात को लेकर देवसमाज व इतिहासकार एकमत नहीं है कि मंडी में शिवरात्रि महोत्सव की शुरुआत कैसे हुई. लेकिन यह सच है कि शिवरात्रि महोत्सव का मंडी रियासत के राजपरिवार के साथ गहरा नाता रहा है.
देवी-देवता पहले राज माधव राय मंदिर में भरते हैं हाजिरी-18वीं सदी में राजा सूरज सेन ने अपने सभी पुत्रों की मृत्यु के बाद सारा राजपाठ राज माधव राय को सौंप दिया था और खुद सेवक बन गए थे. राज माधव राय को भगवान विष्णु का रूप माना जाता है. यही कारण है कि जो भी देवी-देवता शिवरात्रि महोत्सव में शिरकत करते हैं वे सबसे पहले राज माधव राय मंदिर में अपनी हाजिरी भरते हैं. राज माधव राय ही शिवरात्रि महोत्सव में निकलने वाली जलेब की भी अगुवाई करते हैं. जब तक राज माधव राय की पालकी नहीं निकलती है, तब तक जलेब यानी शोभा यात्रा नहीं निकाली जाती है.
मंडी शिवरात्रि महोत्सव को लेकर कई दंत कथाएं प्रचलित-छोटी काशी मंडी में आयोजित होने वाले शिवरात्रि महोत्सव को लेकर कई दंत कथाएं प्रचलित हैं. कुछ लोगों का कहना है कि राज अजबर से 1526 ई. में जब मंडी शहर में बाबा भूतनाथ का मंदिर बनाया गया तो उसके बाद ही यहां पर शिवरात्रि महोत्सव की शुरुआत हुई. वहीं, एक दंतकथा यह भी प्रचलित है कि मंडी रियासत के राजा ईश्वरीय सेन ने जब कांगड़ा बड़ा भंगाल के महाराजा संसार चंद युद्ध में पराजित किया तो उसके उपरांत मंडी में लोगों ने जीत और शिवरात्रि का एक साथ जश्न मनाया. इसी जश्न के साथ मंडी में शिवरात्रि महोत्सव की शुरुआत हुई.
राजा बान सेन के समय से मनाया जाता है शिवरात्रि पर्व-इतिहासकार डॉ. दिनेश धर्मपाल बताते हैं कि मंडी शिवभूमी रही है और राजा बान सेन के समय से ही यहां पर शिवरात्रि पर्व मनाया जाता रहा है. राजा सूरज सेन के कार्यकाल में मंडी जनपद में विधिवत रूप शिवरात्रि महोत्सव की शुरुआत हुई. पहले जनपद के सभी देवी-देवता सेरी चांदनी में विराजमान होते थे. शिवरात्रि महोत्सव में रियासत काल में कुछ भी देवी-देवता शिरकत करते थे और जैसे-जैसे शिवरात्रि महोत्सव प्रचलित होता रहा मंडी में देवी-देवताओं का आगमन बढ़ता गया.
शिवरात्रि में होता है शैव, वैष्णव और लोक देवता का संगम-शिवरात्रि महोत्सव को लेकर एक मान्यता यह भी है कि यह एक ऐसा महोत्सव है जिसमें शैव, वैष्णव और लोक देवता का संगम होता है. शैव भगवान शिव, वैष्णव भगवान विष्णु और लोक देवता कमरूनाग को कहा जाता है. मंडी जनपद में देव कमरूनाग के आगमन के बाद ही शिवरात्रि महोत्सव का आगाज होता है. शुरू में यह पर्व केवल 3 दिन भी मनाया जाता था और मेले की सांस्कृतिक संध्या में शिव विवाह के गीत गाए जाते थे.