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Mandi International Shivratri Festival: कई मायनों में खास है मंडी की शिवरात्रि, जानें क्या है इतिहास

हिमाचल प्रदेश के जिला मंडी को भोले बाबा की नगरी छोटी काशी कहा जाता है. यहां पर 19 से 25 फरवरी तक मंडी का अंतरराष्ट्रीय शिवरात्रि महोत्सव मनाया जाएगा. महोत्सव के दौरान पूरा मंडी शहर ढोल नगाड़ों व व वाद्य यंत्रों की थाप पर झूमने लगता है. क्या आपको पता है कि मंडी में ये शिवरात्रि महोत्सव कब से मनाया जाता है और इसका इतिहास क्या है? अगर नहीं तो जानने के लिए पढ़ें पूरी खबर...

Mandi International Shivratri Festival
Mandi International Shivratri Festival

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Published : Feb 17, 2023, 9:43 PM IST

Updated : Feb 17, 2023, 10:55 PM IST

मंडी में अंतरराष्ट्रीय शिवरात्रि महोत्सव का आगाज 19 फरवरी से होगा.

मंडी: भोले बाबा की नगरी छोटी काशी मंडी में अंतरराष्ट्रीय शिवरात्रि महोत्सव का आगाज होने वाला है. ऐसे में शिवरात्रि महोत्सव को लेकर प्रशासन ने तमाम इंतजाम पूरे कर लिए हैं. छोटी काशी को फूल मालाओं से सजाया जा रहा है. इस बार छोटी काशी में शिवरात्रि महोत्सव 19 से 25 फरवरी तक मनाया जाएगा. जिला मंडी बाबा भोले की नगरी रही है और रियासत काल से ही शिवरात्रि का पर्व यहां मनाया जा रहा है. इस बात को लेकर देवसमाज व इतिहासकार एकमत नहीं है कि मंडी में शिवरात्रि महोत्सव की शुरुआत कैसे हुई. लेकिन यह सच है कि शिवरात्रि महोत्सव का मंडी रियासत के राजपरिवार के साथ गहरा नाता रहा है.

देवी-देवता पहले राज माधव राय मंदिर में भरते हैं हाजिरी-18वीं सदी में राजा सूरज सेन ने अपने सभी पुत्रों की मृत्यु के बाद सारा राजपाठ राज माधव राय को सौंप दिया था और खुद सेवक बन गए थे. राज माधव राय को भगवान विष्णु का रूप माना जाता है. यही कारण है कि जो भी देवी-देवता शिवरात्रि महोत्सव में शिरकत करते हैं वे सबसे पहले राज माधव राय मंदिर में अपनी हाजिरी भरते हैं. राज माधव राय ही शिवरात्रि महोत्सव में निकलने वाली जलेब की भी अगुवाई करते हैं. जब तक राज माधव राय की पालकी नहीं निकलती है, तब तक जलेब यानी शोभा यात्रा नहीं निकाली जाती है.

मंडी में अंतरराष्ट्रीय शिवरात्रि महोत्सव 19 से 25 फरवरी तक मनाया जाएगा.

मंडी शिवरात्रि महोत्सव को लेकर कई दंत कथाएं प्रचलित-छोटी काशी मंडी में आयोजित होने वाले शिवरात्रि महोत्सव को लेकर कई दंत कथाएं प्रचलित हैं. कुछ लोगों का कहना है कि राज अजबर से 1526 ई. में जब मंडी शहर में बाबा भूतनाथ का मंदिर बनाया गया तो उसके बाद ही यहां पर शिवरात्रि महोत्सव की शुरुआत हुई. वहीं, एक दंतकथा यह भी प्रचलित है कि मंडी रियासत के राजा ईश्वरीय सेन ने जब कांगड़ा बड़ा भंगाल के महाराजा संसार चंद युद्ध में पराजित किया तो उसके उपरांत मंडी में लोगों ने जीत और शिवरात्रि का एक साथ जश्न मनाया. इसी जश्न के साथ मंडी में शिवरात्रि महोत्सव की शुरुआत हुई.

राजा बान सेन के समय से मनाया जाता है शिवरात्रि पर्व-इतिहासकार डॉ. दिनेश धर्मपाल बताते हैं कि मंडी शिवभूमी रही है और राजा बान सेन के समय से ही यहां पर शिवरात्रि पर्व मनाया जाता रहा है. राजा सूरज सेन के कार्यकाल में मंडी जनपद में विधिवत रूप शिवरात्रि महोत्सव की शुरुआत हुई. पहले जनपद के सभी देवी-देवता सेरी चांदनी में विराजमान होते थे. शिवरात्रि महोत्सव में रियासत काल में कुछ भी देवी-देवता शिरकत करते थे और जैसे-जैसे शिवरात्रि महोत्सव प्रचलित होता रहा मंडी में देवी-देवताओं का आगमन बढ़ता गया.

शिवरात्रि महोत्सव में जाने से पहले देवी-देवता राज माधव राय मंदिर में अपनी हाजिरी भरते हैं.

शिवरात्रि में होता है शैव, वैष्णव और लोक देवता का संगम-शिवरात्रि महोत्सव को लेकर एक मान्यता यह भी है कि यह एक ऐसा महोत्सव है जिसमें शैव, वैष्णव और लोक देवता का संगम होता है. शैव भगवान शिव, वैष्णव भगवान विष्णु और लोक देवता कमरूनाग को कहा जाता है. मंडी जनपद में देव कमरूनाग के आगमन के बाद ही शिवरात्रि महोत्सव का आगाज होता है. शुरू में यह पर्व केवल 3 दिन भी मनाया जाता था और मेले की सांस्कृतिक संध्या में शिव विवाह के गीत गाए जाते थे.

राजपरिवार के हाथों में थी शिवरात्रि महोत्सव की बागडोर-1980 के दशक से पहले शिवरात्रि महोत्सव की सारी बागडोर राजपरिवार के हाथों में होती थी. इसके बाद कई सालों तक शहरी निकाय शिवरात्रि महोत्सव का आयोजन करवाता रहा. मंडी में पहले शिवरात्रि महोत्सव जिला स्तर पर मनाया जाता था, बाद में इसे राज्य स्तरीय मेला घोषित किया. इस मेले की बागडोर अब जिला प्रशासन के पास आ गई है और अब जिला प्रशासन ही मंडी शिवरात्रि महोत्सव की पूरी जिम्मेदारी संभालता है.

भोले बाबा की नगरी छोटी काशी का बाबा भूतनाथ मंदिर.

शिवरात्रि महोत्सव में पंजीकृत 216 देवी-देवताओं आते हैं-आज मंडी का शिवरात्रि मेला अंतरराष्ट्रीय पटल पर भी अपनी पहचान बना चुका है. जिला प्रशासन के द्वारा महोत्सव के लिए जनपद के 216 पंजीकृत देवी-देवताओं को निमंत्रण दिया जाता है. जिनमें 200 के करीब देवी देवता शिवरात्रि महोत्सव में शिरकत करते हैं. वहीं, इतने ही गैर पंजीकृत देवी-देवता शिवरात्रि महोत्सव में पहुंचते हैं.

देव व मानस का अनूठा संगम है शिवरात्रि महोत्सव-देव व मानस मिलन के इस अनूठे संगम में सैकड़ों देवी-देवता शिवरात्रि महोत्सव में शिरकत करते हैं और अंतरराष्ट्रीय शिवरात्रि महोत्सव की शोभा बढ़ाते हैं. देवी-देवताओं के आगमन से पूरा मंडी शहर ढोल नगाड़ों व व वाद्य यंत्रों की थाप पर झूमने लगता है. शिवरात्रि महोत्सव में देवी-देवताओं की तीन प्रमुख जलेब निकाली जाती है.

अंतरराष्ट्रीय शिवरात्रि महोत्सव के दौरान मंडी शहर ढोल नगाड़ों व व वाद्य यंत्रों की थाप पर झूमने है.

अधिष्ठाता बाबा भूतनाथ की निकाली जाएगी एक जलेब-वहीं, इस बार मंडी शहर के अधिष्ठाता बाबा भूतनाथ की भी एक जलेब निकाली जाएगी. शिवरात्रि महोत्सव के दौरान पूरा सप्ताह भर सांस्कृतिक संध्याओं व लोक नृत्यों का आयोजन किया जाता है. एक दशक बाद इस बार अंतरराष्ट्रीय शिवरात्रि महोत्सव की सांस्कृतिक संध्याएं ऐतिहासिक सेरी मंच पर आयोजित की जाएगी. इन सांस्कृतिक संध्याओं में हिमाचल, लोक बाहरी राज्यों के कलाकार अपनी प्रस्तुतियां देंगे.

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Last Updated : Feb 17, 2023, 10:55 PM IST

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