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मजदूरों की मांगों को लेकर 3 जुलाई को CITU देशव्यापी विरोध-प्रदर्शन करेगी

सीटू मजदूरों की मांगों को लेकर 3 जुलाई को देशव्यापी विरोध प्रदर्शन करेगी. सीटू ने सयुंक्त ट्रेड यूनियनों के देशव्यापी विरोध प्रदर्शनों को सफल बनाने के लिए मंडी में राज्य कमेटी की बैठक कर योजना बनाई है. सीटू के राष्ट्रीय सचिव डॉ. कश्मीर ठाकुर ने कहा कि सरकार की घोषणा के बावजूद मजदूरों की छंटनी कंपनियां कर रही है.

CITU meeting in mandi
सीटू की बैठक

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Published : Jun 13, 2020, 4:52 PM IST

मंडी: मजदूर संगठन सीटू विभिन्न मांगों को लेकर 3 जुलाई को सभी जिला, तहसील व प्रोजेक्ट स्तर पर विरोध प्रदर्शन करेगी. सीटू ने सयुंक्त ट्रेड यूनियनों के देशव्यापी विरोध प्रदर्शनों को सफल बनाने के लिए मंडी में राज्य कमेटी की बैठक कर योजना बनाई है.

बैठक में सीटू के राष्ट्रीय सचिव डॉ. कश्मीर ठाकुर ने बताया कि केंद्र सरकार के बिना तैयारी के घोषित लॉकडाउन से मजदूरों को सबसे ज्यादा परेशानी हुई है. इसके चलते मजदूरों से उनका रोजगार छीन गया है. इसलिए सीटू लॉकडाउन की समय अवधि के दौरान सभी मजदूरों को 7500 रुपये प्रति माह की दर से देने की मांग कर रही है.

डॉ. कश्मीर ठाकुर ने बताया कि बीजेपी शासित राज्यों ने अगले तीन सालों के लिए श्रम कानूनों को सस्पेंड कर दिया है, जो बीजेपी की मजदूर विरोधी नीतियों व समझ को दिखाता है. कोरोना के बहाने काम के घंटे 8 से बढ़ाकर 12 करने के फैसले का भी विरोध किया जाएगा.

सीटू के राष्ट्रीय सचिव डॉ. कश्मीर ठाकुर ने कहा कि सरकार की घोषणा के बावजूद मजदूरों की छंटनी कंपनियां कर रही है. इसके अलावा 9 अगस्त को भारत छोड़ो दिवस के दिन मजदूरों और किसानों की मांगों के लिए देशव्यापी हड़ताल व प्रदर्शन किया जाएगा, जिसमें सभी परिवारों को राशन देने और लॉकडाउन की समय अवधि का वेतन देने की मांग की जाएगी. साथ ही मनरेगा में काम के दिन 250 रुपये करने और दैनिक मजदूरी 350 रुपये करने की मांग की जाएगी.

वहीं, राज्य अध्यक्ष विजेंद्र मेहरा और राज्य सचिव प्रेम गौतम ने कहा कि हिमाचल प्रदेश में रेहड़ी-फहड़ी लगाने वालों, ऑटो रिक्शा व टैक्सी और निजी बस व ट्रक चालकों, होटल व निर्माण मजदूरों, कामकाजी महिलाओं को भी चार महीनों का साढ़े सात हजार प्रति माह मदद दी जाने की मांग की है. उन्होंने कहा कि हिमाचल प्रदेश में पहली तिमाही में केवल 22 प्रतिशत मजदूरों को ही अभी तक काम मिला है, जबकि सरकार दावे तो कर रही है, लेकिन धरातल में मजदूरों को काम नहीं मिल रहा है.

बैठक में फैसला लिया गया कि सीटू आने वाले समय में प्रवासी और मनरेगा व निर्माण मजदूरों को प्राथमिकता के आधार पर संगठित करेगी.

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