करसोग: राजधानी शिमला से लगभग 90 किलोमीटर की दुरी पर चिंडी गांव में मां दुर्गा का प्राचीन मंदिर है. यहां माता को चिंडी माता के नाम से पुकारते हैं. मंदिर का नक्शा किसी इंसान ने नहीं बल्कि चीटिंयों की डोर ने तैयार किया था. इसलिए इस मंदिर का नाम चिंडी मंदिर पड़ा.
करसोग से लगभग 13 किलोमीटर की दूरी पर स्थित चिंडी माता का मंदिर क्षेत्र में रहने वाले श्रद्धालुओं की आस्था का मुख्य केंद्र है. यहां माता के दर्शन करने के लिए दिल्ली सहित कलकत्ता और मुंबई से भी श्रद्धालु पहुंचते हैं.चिंडी माता मंदिर में अति प्राचीन अष्टभुजी मूर्ति स्थापित है. यह मूर्ति पत्थर की बनी हुई है.
मंदिर में भगवान विष्णु की भी प्रतिमा है. इसके अलावा मंदिर परिसर में भंडार कक्ष भी है, जिसमें चिंडी माता के कीमती वस्त्र और सभी श्रृंगार प्रसाधन रखे जाते हैं. चिंडी माता में लकड़ी पर सुंदर नक्काशी की गई है, जिससे यहां की खूबसूरती देखते ही बनती है.
कन्या रूप में प्रकट हुई थी माता
चिंडी माता मंदिर की सदियों से लेकर चली आ रही मान्यताएं आज भी बरकरार है. मान्यता है कि यहां माता कन्या रूप में प्रकट हुई थी और माता ने मंदिर का निर्माण खुद चींटियों की डोर बनाकर किया था. मंदिर के साथ बने तालाब और भंडार का नक्शा भी चींटियों ने ही बनाया था.
नक्शे की जानकारी माता ने स्थानीय पंडित को स्वप्न में आकर दी थी. उसके बाद नक्शे को देखकर मंदिर बनाया गया था. कहते हैं कि चिंडी माता अपने क्षेत्र को छोड़कर कभी बाहर नहीं गई. पुरौणिक कथाओं के अनुसार एक बार सुकेत रियासत के राजा लक्ष्मण सेन ने चिंडी माता को सुंदरनगर बुलाने की जिद्द की थी. कारदारों ने जैसे ही माता को चौखट से बाहर निकाला.