लाहौल स्पीति: बर्फबारी का दौर खत्म होने के बाद भेड़पालकों का लाहौल स्पीति में पहुंचना शुरू हो गया है. रोहतांग पास से बर्फ हटाने के बाद भेड़पालको ने अपनी भेड़ों के साथ घाटी का रुख करना शुरू कर दिया है. तीन अक्तूबर 2020 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अटल टनल रोहतांग को देश के लिए समर्पित किया था.
रोहतांग टनल के उद्घाटन के बाद रोहतांग पास से पैदल आवाजाही पूरी तरह से बंद है. इसके साथ ही वर्षों से पैदल यात्रियों के लिए मढ़ी और कोकसर में स्थापित पुलिस की बचाव चौकियां भी बंद हो गई हैं. 17 मई को पहली बार मई महीने में चार भेड़पालक अपने भेड़-बकरियों के साथ 13050 फीट ऊंचे रोहतांग दर्रे को पैदल लांघकर कोकसर पहुंचे हैं.
भेड़पालकों ने पैदल लांघा रोहतांग दर्रा
भेड़पालक जोगिंद्र कुमार, माधोराम, राजेंद्र पाल और गणेश कुमार वर्ष 2021 में पहली बार रोहतांग दर्रा पैदल लांघकर लाहौल पहुंचे हैं. अटल टनल रोहतांग के खुलने से पहले मार्च महीने से रोहतांग दर्रा पैदल यात्रियों की आवाजाही के लिए प्रशासन की ओर से खोल दिया जाता है, लेकिन अटल टनल खुलने के बाद इस साल रोहतांग दर्रे को पैदल लांघने की नौबत नहीं आई. लिहाजा भेड़पालक ही पहली बार रोहतांग दर्रा पैदल लांघ कर लाहौल पहुंचे.
कोकसर पहुंचने पर भेड़पालकों ने बताया कि वे लोग कांगड़ा जिले से हैं. हर साल की तरह कांगड़ा से मनाली होते हुए राहलाफाल और मढ़ी की चढ़ाई चढ़कर रोहतांग पास होते हुए ग्रांफू से कोकसर पहुंचे. राजेंद्र कुमार ने बताया कि वह पिछले 35 वर्षों से हर साल ग्रीष्म ऋतु में लाहौल के सिस्सू से बक्कर थाच का रुख करते हैं और सितंबर महीने में ठंड पड़ने पर लौट जाते हैं.
ये भी पढ़ें:कोरोना से जंग में सेना ने दिया प्रदेश सरकार का सहयोग, संजौली में 60 बेड का अस्पताल प्रशासन को सौंपा