कुल्लू: प्रदेश में हजारों पर्यटन स्थल हैं. कुल्लू मनाली हिमाचल के मशहूर पर्यटनों स्थलों में से एक है. हर साल यहां लाखों सैलानी घूमने के लिए आते हैं. इसके बावजूद भी कुल्लू में कई ऐसी जगहें हैं, जिसके बारे में बहुत कम पर्यटकों को जानकारी है. ईटीवी भारत की खास सीरीज अनछुआ हिमाचल में हम आपको ऐसी ही जगह के बारे में जानकारी देते हैं. आज अनछुआ हिमाचल में हम आपको जिला कुल्लू की लगघाटी में स्थित काईसधार थाच ट्रैकिंग रूट के बारे में जानकारी देंगे.
काईसधार-थाच ट्रैकिंग रूट प्राकृतिक सुंदरता से लबरेज पर्यटन स्थल है. यहां की वादियां गुलमर्ग और सोनमर्ग से कम नहीं हैं. ये ट्रैकिंग रूट अंग्रेजों के समय का सवा सौ साल पुराना ट्रैकिग रूट है. इसके चलते ग्रामीण इस रूट को हैरिटेज ट्रैकिंग रूट घोषित करने की मांग भी कर रहे हैं.
मूलभूत सुविधाओं का अभाव
मूलभूत सुविधाओं के अभाव में काईसधार-थाच ट्रैकिंग रूट में पर्यटक कम ही पहुंच पाते हैं. सबसे अधिक समस्या सड़कों की है. सड़कों से दूर होने के कारण अधिकतर पर्यटक यहां नहीं पहुंच पाते. काईसधार-थाच ट्रैकिंग रूट के अलावा इस घाटी में डायनासर, डिब्बी डवार, हाथीपुर, कड़ौण, मठासौर और बड़ासौर जैसे पर्यटन स्थल भी हैं.
काईसधार-थाच ट्रैकिंग को हैरिटेज ट्रैकिंग रूट घोषित करने की मांग
यहां लगघाटी के कड़ौण स्थित डाक बंगला और थाच में कई हट हैं जिन्हें आज पर्यटन के तौर पर विकसित करने की आवश्यकता है. लगघाटी पर्यावरण पर्यटन विकास समिति के अध्यक्ष प्रताप ठाकुर ने कहा कि काईसधार-थाच ट्रैकिंग रूट को हैरिटेज ट्रैकिंग रूट घोषित किया जाना चाहिए. इसके साथ ही कड़ौण स्थित डाक बंगला और थाच में भी कई हट हैं, जिन्हें विकसित करने की जरूरत है. इसके अलावा घाटी में अन्य पर्यटन स्थल डायनासर, डिब्बी डवार, हाथीपुर, कड़ौण, मठासौर, बड़ासौर आज भी विकास की राह देख रहे हैं.