कुल्लू: जय श्रीराम के उद्घोष के साथ अंतरराष्ट्रीय कुल्लू दशहरा उत्सव का सोमवार को समापन हुआ. भगवान रघुनाथ के अस्थायी शिविर से शुरू हुई रथ यात्रा कैटल मैदान तक पहुंची. इसके बाद कुल्लू राज परिवार के सभी सदस्य रघुनाथ जी के छड़ीबदार महेश्वर सिंह सहित लंकाबेकर की ओर बढ़े.
देवी हिडिम्बा भी लंकाबेकर गईं. यहां रावण वध की रस्म को निभाया गया और लंका दहन के प्रतीक के तौर पर झाड़ियों को जलाया गया. इस दौरान ढालपुर मैदान जय श्रीराम के उद्घोष से गूंज गया. हजारों लोग दशहरा उत्सव के समापन सामरोह में अधिष्ठाता रघुनाथ जी की रथ यात्रा के साक्षी बने.
लंका दहन के बाद रघुनाथ जी का रथ कैटल मैदान से अस्थायी शिविर की ओर बढ़ने लगा. इस दौरान हजारों लोग रथ को खींच रहे थे जैसे-जैसे रथ आगे बढ़ता गया दोनों ओर खड़ी भीड़ रघुनाथ जी के जयकारों के साथ रथ के पीछे चलती गई. रथ मैदान में पहुंचने के बाद यात्रा का समापन हुआ और अधिष्ठाता रघुनाथ जी ने दशहरा उत्सव में आए सभी देवी-देवताओं को विदा करके रघुनाथपुर का रुख किया. सोमवार को अधिष्ठाता रघुनाथ सुल्तानपुर स्थित अपने देवालय में विराजमान हुए.
रघुनाथ जी से विदा लेकर जिला कुल्लू जिला के विभिन्न इलाकों से आए देवी-देवता भी अपने अपने देवालयों को लौटे. रथ यात्रा में कई देवरथ शामिल हुए. पारंपरिक वाद्य-यंत्रों की ध्वनि से गूंजता ऐतिहासिक ढालपुर मैदान एक अद्भुत देव नजारे से सराबोर रहा. रघुनाथ जी की विशेष पूजा-अर्चना से शुरू हुई रथ यात्रा के हजारों लोग साक्षी बने. भव्य देव समागम को देखने के लिए देश, प्रदेश और विदेश के विभिन्न हिस्सों के लोग मौजूद रहे.
जानकारी देते हुए भगवान रघुनाथ के कारदार दावेंद्र सिंह ने बताया कि आज सात दिवसीय अंतरराष्ट्रीय कुल्लू दशहरा का समापन्न हो गया है. जिला भर के सभी देवी-देवता अगले वर्ष फिर से आने का वादा कर अपने अपने देवालयों की और लौट गए हैं. भगवान रघुनाथ की ओर सभी देवी-देवताओं को अगले वर्ष दशहरा उत्सव में आने का निमंत्रण देकर विदा किया गया.