मनाली/कुल्लू: हिमाचल प्रदेश में इस साल बार-बार बदल रहे मौसम के चलते कई जिलों में तापमान में बदलाव देखने को मिला है. जिला कुल्लू में मौसम में बदलाव के कारण तापमान में इस साल काफी बदलाव देखने को मिला है.
ठंड ने बढ़ाई मुश्किलें
मई माह खत्म होने वाला है, लेकिन अभी तक लोग स्वेटर नहीं उतार पाएं हैं. सुबह-शाम के समय कुल्लू के ग्रामीण इलाकों में लोगों को ठंड से बचने के लिए आग का सहारा लेना पड़ रहा है. पर्यटन नगरी मनाली का रोहतांग दर्रे में भी इस साल कोरोना संकट के चलते वाहनों की आवाजाही शुरू नहीं हो पाई है. रोहतांग के साथ लगती चोटियों पर बर्फबारी जारी है, तापमान काफी कम हो गया है.
प्रकृति को होगा फायदा
भूगर्भ वैज्ञानिकों का मानना है कि मनाली और रोहतांग के आसपास तापमान में गिरावट और मई में भी पहाड़ों में बर्फबारी होने से ग्लेश्यिरों के पिघलने की रफ्तार कम होगी, जो भविष्य में पानी की समस्या के लिए अच्छा संकेत है. जेएनयू में भूगर्भ शास्त्री और पर्यावरण, ग्लेश्यिरों पर शोध कर रहे मिलाप शर्मा ने बताया कि मौसम हमेशा बदलता रहता है. कोरोना काल में लगातार दूसरे वर्ष रोहतांग दर्रे पर वाहन नहीं जा रहे हैं. साथ ही रोहतांग के साथ मनाली में भी वायु प्रदूषण नहीं हो रहा है और पर्यावरण की आबोहवा साफ-सुथरी हुई है. पर्यटकों के साथ-साथ ट्रैकर और पर्वतारोहियों की गतिविधियां भी बंद हैं. इसका फायदा प्रकृति को होगा.
वाहनों की आवाजाही ठप
13051 फीट ऊंचे रोहतांग दर्रे में पर्यटन सीजन में हजारों वाहन पहुंचते हैं. पांच से छह साल पहले यहां रोजाना आठ से दस हजार वाहन पहुंचते थे. इससे न केवल रोहतांग, बल्कि इसके आसपास के क्षेत्रों में बर्फ की परत काली होने लगी थी. ग्लेशियर भी तेजी से पिघलने लगे थे. प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड कुल्लू के सहायक अभियंता सुनील शर्मा ने कहा कि कोरोना के कारण मनाली और रोहतांग में पर्यटक वाहनों की आवाजाही पूरी तरह से ठप है. जिसका लाभ पर्यावरण को मिलेगा.
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