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वीरभद्र के 'आश्रय' में सुखराम के पोते! बोले- इतिहास में स्वर्ण अक्षरों में लिखा जाएगा पूर्व सीएम का नाम

आश्रय शर्मा ने कहा कि मंडी संसदीय क्षेत्र प्रदेश के इलाकों में महत्वपूर्ण हिस्सा है और यहां दुर्गम क्षेत्रों में लोग बसते हैं. कांग्रेस पार्टी के जो सांसद रहे हैं उन्होंने ही इस क्षेत्र का विकास करवाया. इसके लिए पूर्व मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह की कड़ी मेहनत को सभी लोग याद करते हैं.

आश्रय शर्मा और वीरभद्र सिंह (डिजाइन फोटो)

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Published : Apr 18, 2019, 6:10 PM IST

कुल्लू: प्रदेश की हॉट सीट मंडी की फिजाओं में सियासी रंग घुल गया है. तुंगल के शेर कहे जाने वाले सुखराम की कांग्रेस में वापसी के बाद मंडी संसदीय सीट के समीकरण बदल गए हैं. पूर्व केंद्रीय मंत्री अपने पोते आश्रय शर्मा को संसद पहुंचाने के लिए फील्ड में जुट गए हैं. वहीं आश्रय शर्मा ताबड़तोड़ जनसभाएं कर रहे हैं.

आश्रय शर्मा और वीरभद्र सिंह (डिजाइन फोटो)

जिला कुल्लू के काईस में आयोजित जनसभा के दौरान कांग्रेस प्रत्याशी आश्रय शर्मा ने पूर्व मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंघबकी तारीफ में भी कसीदे पढ़े. आश्रय शर्मा ने वीरभद्र सिंह को प्रदेश का विकास पुरुष बताया. वहीं यह भी कहा कि अगर जिस दिन हिमाचल के विकास का इतिहास लिखा जाएगा तो सबसे पहले पूर्व मुख्यमंत्री वीरभद्र का नाम स्वर्ण अक्षरों में लिखा जाएगा.

आश्रय शर्मा ने कहा कि वीरभद्र सिंह ही एक ऐसे व्यक्ति हैं, जिन्होंने अपना पूरा जीवन ही प्रदेश के विकास को समर्पित कर दिया और वह ऐसे सांसद भी रहे हैं जिन्होंने हिमाचल के गौरव को देश दुनिया के पटल पर एक नई पहचान भी दी. आश्रय शर्मा ने कहा कि मंडी संसदीय क्षेत्र प्रदेश के इलाकों में महत्वपूर्ण हिस्सा है और यहां दुर्गम क्षेत्रों में लोग बसते हैं. कांग्रेस पार्टी के जो सांसद रहे हैं उन्होंने ही इस क्षेत्र का विकास करवाया. इसके लिए पूर्व मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह की कड़ी मेहनत को सभी लोग याद करते हैं.

जनसभा में आश्रय शर्मा वीरभद्र सिंह व अपने दादा सुखराम के द्वारा किए गए विकास कार्यों को याद किया. वहीं जनता से भी आग्रह किया कि वे दोनों महान पुरुषों के विकास को देखते हुए कांग्रेस को सहयोग करें, ताकि विकास की इस रफ्तार को आगे भी इसी गति से चलाया जा सके.

भाषण देते आश्रय शर्मा

आपको बता दें कि मंडी संसदीय सीट पर इस सीट पर सबसे अधिक प्रभाव वीरभद्र परिवार का रहा है. पूर्व मुख्यमंत्री इस सीट से तीन बार जबकि उनकी धर्मपत्नी प्रतिभा सिंह उपचुनाव को मिलाकर 2 बार जीत चुकी है. इसके साथ ही पंडित सुखराम 3 बार इस सीट से जीतकर संसद पहुंचे. पंडित सुखराम और वीरभद्र सिंह की नोकझोंक जगजाहीर है, हालांकि आश्रय को टिकट मिलने के बाद दोनों दिग्गज नेता गले मिले और पिछले मनमुटाव को भूलने की बात भी कही गई.

मंडी संसदीय सीट पर जीत का परचम लहराने के लिए आश्रय को वीरभद्र सिंह के आशीर्वाद की जरूरत होगी और इसी बात को ध्यान में रखते हुए आश्रय वीरभद्र सिंह और सुखराम के नाम के साथ जनता की बीच पहुंच रहे हैं और दोनों दिग्गज नेताओं के विकास कार्यों का हवाला देकर जनता से वोट की अपील कर रहे हैं.

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