किन्नौर:हिमाचल सिर्फ देवभूमि ही नहीं बल्कि रहस्यमयी हिमाचल भी है, जहां के कई हिस्से अपने अंदर कई रहस्य संजोए हुए हैं. ईटीवी भारत अपनी खास सीरीज रहस्य में आपको ऐसी ही कई अनसुलझी और रहस्यमयी जगहों से रूबरू करवाता है, जिनका उत्तर आज के विज्ञान के पास भी नहीं है.
वैसे तो देवों के देव महादेव कैलाशपति है, हिमालय के गर्भ में बसा कैलाश भोलेनाथ को अत्यंत प्रिय है. लेकिन हिमाचल के किन्नौर में मौजूद किन्नर कैलाश भगवान शिव का शीतकालीन निवास माना जाता है. 12 महीने बर्फ की चादर ओढ़े पहाड़ों के बीच 45 फीट ऊंचा और 16 फीट चौड़ा शिवलिंग अपने आपमें अद्भुत है.
इस शिवलिंग को किन्नौर के कल्पा से भी देखा जा सकता है. सूर्य उदय होने से पहले किन्नर कैलाश के आसपास की पहाड़ियों का रंग और कैलाश के रंग में भी काफी फर्क दिखाई देता है. अब इस घटना को चमत्कार कहे या कोई रहस्य या कोई विज्ञान इसका उत्तर तो शायद किसी के पास भी नहीं है.
किन्नर कैलाश से जुड़ा इतिहास
किन्नर कैलाश की पहली यात्रा सन 1990 को कुछ एक गद्दियों ने शुरू की थी, जो अपने भेड़ बकरियों के साथ किन्नर कैलाश के आसपास आते-जाते रहते थे. कई बार ये गद्दी रात को किन्नर कैलाश के निचली तरफ अपनी रात गुजारते थे. उस दौरान सुबह चार बजे ठीक कैलाश के आसपास ढोल नगाड़ों और शंख की आवाजें आती थी, मानो कैलाश पर्वत पर पूजा हो रही हो.
कहा जाता है कि उस समय गद्दियों ने जब कैलाश की तरफ देखा तो किन्नर कैलाश पर कुछ बड़े-बड़े आसमानी तारे गिर रहे थे और कैलाश के आसपास कोई बड़ा भव्य शरीर वाला व्यक्ति चल रहा था.