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Shardiya Navratri 2022: मां चामुंडा के दर्शन से हर इच्छा होती पूरी...

हिमाचल प्रदेश के सबसे बडे़ जिले कांगड़ा में मां चामुंडा के दरबार में बड़ी संख्या में भक्त पहुंचकर वरदान मांग रहे हैं. वैसे तो साल भर यहां भक्तों का तांता लगा रहता है, लेकिन नवरात्रि में यहां भक्तों की संख्या बढ़ जाती है. मान्यता है कि चामुंडा में माता सती के चरण गिरे थे.(Shardiya Navratri 2022 )

Shardiya Navratri 2022
Shardiya Navratri 2022

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Published : Sep 30, 2022, 9:59 AM IST

कांगड़ा:आज नवरात्रि का पांचवा दिन है और मां स्कंदमाता की आराधना की जा रही है. वहीं हिमाचल प्रदेश के सबसे बडे़ जिले कांगड़ा में मां चामुंडा के दरबार में बड़ी संख्या में भक्त पहुंचकर वरदान मांग रहे हैं. वैसे तो साल भर यहां भक्तों का तांता लगा रहता है, लेकिन नवरात्रि में यहां भक्तों की संख्या बढ़ जाती है. मान्यता है कि चामुंडा में माता सती के चरण गिरे थे.(mata chamunda kangra himachal) माना जाता है कि मां के दर्शन करने से हर इच्छा पूरी हो जाती है.

माता काली को समर्पित माता चामुंडा:चामुंडा देवी मंदिर मुख्यता माता काली को समर्पित है. माता काली शक्ति और संहार की देवी है. जब-जब धरती पर कोई संकट आया है तब-तब माता ने दानवों का संहार किया. असुर चंड-मुंड के संहार के कारण माता का नाम चामुंडा पड़ गया.चामुडा देवी मंदिर नदी के किनारे पर बसा होने के कारण पर्यटकों के लिए यह एक पिकनिक स्पॉट भी है. यहां कि प्राकृतिक सौंदर्य लोगों को अपनी और आकर्षित करता है. (Mata Chamunda Kangra)

मां की उत्पत्ति कथा:दूर्गा सप्तशती और देवी महात्यमय के अनुसार देवताओं और असुरों के बीच में सौ वर्षों तक युद्ध चला था. इस युद्ध में असुरों की विजय हुई. असुरों का राजा महिषासुर स्वर्ग का राजा बन गया और देवता सामान्य मनुष्यों कि भांति धरती पर विचरण करने लगे. देवताओं के ऊपर असुरों ने काफी अत्याचार किया. देवताओं ने विचार किया और वह भगवान विष्णु के पास गए. भगवान विष्णु ने उन्हें देवी कि अराधना करने को कहा.

मैं तुम्हारी रक्षा करूंगी:देवताओं ने पूछा वो देवी कौन है जो कि हमार कष्टों का निवारण करेगी. इसी योजना के फलस्वरूप त्रिदेवों ब्रह्मा, विष्णु और महेश तीनों के अंदर से एक दिव्य प्रकाश प्रकट हुआ जो देखते ही देखते एक स्त्री के रूप में पर्वितित हो गया. इस देवी को सभी देवी-देवताओं ने कुछ न कुछ भेट स्वरूप प्रदान किया. भगवान शंकर ने सिंह, भगवान विष्णु ने कमल, इंद्र ने घंटा तथा समुद्र ने कभी न मैली होने वाली माला प्रदान की. तभी सभी देवताओं ने देवी की आराधना की ताकि देवी प्रसन्न हो और उनके कष्टों का निवारण हो सके और हुआ भी ऐसा ही. देवी ने प्रसन्न होकर देवताओं को वरदान दिया और कहा मैं तुम्हारी रक्षा अवश्य करूंगी. इसी के फलस्वरूप देवी ने महिषासुर के साथ युद्ध प्रारंभ किया, जिसमें देवी कि विजय हुई और तभी से देवी का नाम महिषासुर मर्दिनी पड़ गया.

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