पालमपुर: प्रदेश में शिक्षा का विस्तार जनसंख्या की दृष्टि से भारत में सभी प्रदेशों से अधिक हुआ है. दुर्भाग्य से उसके साथ ही शिक्षा का स्तर भी सबसे अधिक गिरा है. ये बात पूर्व मुख्यमंत्री एवं पूर्व सांसद शांता कुमार ने कही है.
उन्होंने कहा कि हिमाचल प्रदेश में 21 विश्वविद्यालय, एक जिला में सात विश्वविद्यालय और एक पंचायत में तीन विश्वविद्यालय ऐसा और कहीं नहीं है. उन्होंने कहा कि पता नहीं पिछली सरकारें किस उद्देश्य से रेबड़ियों की तरह विश्वविद्यालय बांटती रही.
पूर्व मुख्यमंत्री शांता कुमार ने कहा कि सीबीआई छात्रवृत्ति घोटाले की जांच कर रही है. इस तरह के बहुत से फर्जी शिक्षा संस्थाओं का पता लग रहा है. विश्वविद्यालयों के अतिरिक्त निजी अन्य संस्थाओं की हिमाचल प्रदेश में भरमार है. सीबीआई जांच से चकित करने वाले तथ्य सामने आ रहे हैं. उन्होंने कहा कि बिना पढ़े विद्यार्थियों को डिग्रियां मिलती रहीं. साथ ही घर बैठे प्रमाण-पत्र मिलते रहे.
पूर्व सीएम शांता कुमार ने कहा कि बहुत से विश्वविद्यालय और शिक्षा संस्थाओं में स्टाफ पूरा नहीं है और न ही बैठने के लिए भवन है. बेरोजगारी के कारण युवा कोई डिग्री लेने के लिए इनमें प्रवेश लेते है. यह एक कड़वी सच्चाई है कि कुछ शिक्षा संस्थाएं केवल डिग्री देने वाली दुकानें बन गई हैं.
शांता कुमार ने कहा कि इस सबके कारण शिक्षा का स्तर बहुत गिरा है. प्रदेश में 1,194 पटवारियों के पदों के लिए 3 लाख उम्मीदवार थे. उम्मीदवारों में एमए और बीए पढ़े हुए थे, जबकि आवश्यक योग्यता केवल 10वीं थी. 3 लाख उम्मीदवार में से केवल 1,185 पास हुए. उन्होंने कहा कि अगर यह आंकड़ा सामने आ जाए कि उन में एमए और बीए पढ़े हुए भी कितने फेल हुए तो शिक्षा के गिरते स्तर का अनुमान लगाया जा सकता है. हिमाचल शिक्षा बोर्ड द्वारा ली गई टीजीटी मेडिकल परीक्षा में भी केवल 5.13 प्रतिशत छात्र पास हुए. बोर्ड द्वारा दी गई आठ विषयों की शिक्षक पात्रता परीक्षा में लगभग 50 हजार छात्रों से केवल 10 हजार ही पास हुए है.