धर्मशाला: सी.एस.आई.आर. हिमालय जैवसंपदा प्रौद्योगिकी संस्थान पालमपुर में 28 फरवरी को राष्ट्रीय विज्ञान दिवस मनाया गया. डा. चन्द्रशेखर वेंकटरमन द्वारा 28 फरवरी 1928 को 'रमन प्रभाव' की खोज के लिए उन्हें 1930 में भौतिकी के लिए नोबल पुरस्कार प्रदान किया गया था. इस खोज के स्मरण में प्रत्येक वर्ष इस दिन को पूरे देश में राष्ट्रीय विज्ञान दिवस के रूप में मनाया जाता है.
संस्थान के निदेशक डॉ. संजय कुमार ने सभी अतिथियों का स्वागत करते हुए जीवविज्ञान अनुसंधान में इंजीनियरिंग के महत्व को बताया. संस्थान ने 19 काल में परीक्षण के साथ-साथ वायरस की जिनोम सिक्वेंशिंग पर भी कार्य किया. संस्थान ने डब्ल्यूएचओ के दिशा निर्देशों के अनुसार चाय एवं अल्कोहल आधारित हैंड सेनिटाइजर, हर्बल साबुन की तकनीक विकसित की और स्थानीय उद्यमियों के माध्यम से व्यापक स्तर पर इसका उत्पादन करके जन साधारण को कोविड महामारी से लड़ने के लिए उपलब्ध करवाया.
सेमिनार में फाॅग कम्प्यूटिंग और चुनौतियों पर चर्चा
इस अवसर पर मुख्य अतिथि प्रो. ललित कुमार अवस्थी, निदेशक, डा. बी.आर. अंबेडकर राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान, जालंधर ने 'फाॅग कम्प्यूटिंग और चुनौतियां' विषय पर संबोधित किया. अपने संबोधन में उन्होंने फाॅग कम्प्यूटिंग की भूमिका, संक्षिप्त इतिहास और इसकी आवश्यकता तथा विभिन्न क्षेत्रों में इसके उपयोग के बारे में वर्णन किया. आईओटी के विकास के लिए फाॅग कम्प्यूटिंग कैसे आवश्यक है, इस पर प्रकाश डालते हुए उन्होंने इसके समार्ट सिटी, स्मार्ट कार एवं यातायात निंयत्रण, स्मार्ट ग्रिड, समार्ट सिक्योरिटी व जैवप्रौद्योगिकी के क्षेत्र में उपयोग पर प्रकाश डाला.
समाज के उत्थान में विज्ञान की भूमिका पर चर्चा
समारोह के विशेष अतिथि प्रो. चन्द्र शेखर, मानद प्रोफेसर आईआईटी, दिल्ली ने आनलाइन माध्यम से अपने संबोधन में एलईडी जैसे सस्ते उपायों से प्राप्त प्रकाश से पौधों की उत्पादकता बढ़ाने के महत्व के बारे में बताया. उन्होंने नए ज्ञान के सृजन एवं समाज के उत्थान में विज्ञान की महत्वपूर्ण भूमिका पर प्रकाश डाला.
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