धर्मशाला: मिट्टी से सोना उगाने का हुनर रखने वाले लोग खेती में नया पन लाकर केवल पैसा ही नहीं कमाते, बल्कि दूसरों के लिए प्रेरणा स्रोत भी बन जाते हैं. ऐसे ही एक बागवान हैं, कांगड़ा जिले के शाहपुर के गांव दुरगेला के बागवान पूर्ण चंद. बागवान पूर्ण चंद ने कांगड़ा के मैदानी इलाके में ठंडे पहाड़ों की फसल कही जाने वाले सेब की पैदावार से सफलता की ऐसी कहानी लिखी है, जो पूरे क्षेत्र के लिए प्रेरणा बन गई है. उनको देखकर अब आसपास के गांवों के लोग भी स्वरोजगार का रुख करने लगे हैं.
परंपरागत खेती छोड़ सेब की पैदावार में अजमाया हाथ:पूर्ण चंद ने अन्ना व डोरसेट प्रजाति के करीब 300 सेब के पौधे अपने बागान में लगाए हैं, जिनमें से लगभग 140 पौधों में अभी फल आना शुरू हो गए हैं. इस सीजन में सेब की पैदावार को देखते हुए उन्हें एक से डेढ़ लाख रुपये की कमाई की उम्मीद है. पूर्ण चंद ने बताया कि पहले वह अपनी जमीन पर गेहूं, मक्की की परंपरागत खेती करते थे, लेकिन इसमें उसे कुछ भी लाभ नहीं मिल रहा था. जिसके चलते 4 साल पहले से उन्होंने बागवानी विभाग के सहयोग से अपनी जमीन पर सेब का बगीचा लगाया. वहीं, उन्होंने बताया कि यहां के स्थानीय लोगों और प्रदेश के अन्य हिस्सों से कई लोगों को यहां पर 12 महीने स्थाई रोजगार उपलब्ध है. प्रदेश सरकार के पास पूर्ण चंद ने अपनी नर्सरी को पंजीकृत भी करवाया है.
रासायनिक खाद या स्प्रे का नहीं करते इस्तेमाल:पूर्ण चंद ने बताया कि उनके बगीचे की खासियत यह है कि वह अपने सेब बागान में किसी तरह की रासायनिक खाद या स्प्रे का इस्तेमाल नहीं करते हैं. उन्होंने बताया कि वह विभिन्न दालें, किचन वेस्ट, ऑयल सीड, गौ मूत्र तथा गोबर द्वारा स्वंय की बनाई हुई जैविक खादों का ही इस्तेमाल करते हैं. लोगों को रायासनमुक्त और पौष्टिक फल मुहैया कराने के उद्देश्य से उन्होंने अपने बगीचे में किसी रासायनिक खाद या स्प्रे का उपयोग न करने का प्रण लिया है.
देशभर में सेब के पौधों की सप्लाई: पूर्ण चंद ने सेब के पौधों की एक नर्सरी भी लगाई है. उन्होंने बताया कि बीते दो सालों में प्रदेश के साथ-साथ देश के विभिन्न राज्यों में अपनी नर्सरी के पौधे भेज चुके हैं. महाराष्ट्र के विदर्भ, औरंगाबाद, नागपुर, अमरावती, अहमदनगर के साथ मध्यप्रदेश के जबलपुर, नीमच, भोपाल और राजस्थान के जयपुर और हरियाणा, गुजरात, कर्नाटक के बीजापुर इत्यादि राज्यों में साल 2021-22 में 10,000 सेब के पौधों और साल 2022-23 में 20,000 सेब के पौधों की सप्लाई कर चुके हैं. उन्होंने बताया कि समय-समय पर वह खुद वहां जाकर उनकी प्रूनिंग इत्यादि का कार्य करते हैं तथा वहां के बागवानों को इन पौधों की रख-रखाव के बारे में बताते हैं. वर्तमान समय में पूर्ण चंद की नर्सरी में लगभग 40 हजार सेब के पौधे आने वाले सीजन की सप्लाई के लिए बिलकुल तैयार हैं.