पालमपुर: हिमाचल प्रदेश प्रदेश में आने वाले दिनों में गायों से अब बछड़ी ही पैदा होगी. कृत्रिम गर्भाधान से अब बछड़े पैदा होने की संभावना न के बराबर रहेगी. इससे किसानों को अब गाय की नस्ल आगे चलाने में कोई परेशानी नहीं आएगी.
आधुनिक कृषि औजारों के कारण खेत में हल जोतने में बैलों का प्रयोग कम होने से अब हर कोई गाय से बछड़ी की ही उम्मीद करता है, क्योंकि गाय तो दूध दे देगी लेकिन बैल अब किसी काम नहीं आ रहे. आधुनिक औजारों ने अब किसानों का काम आसान कर दिया है. पहले बैलों से ही खेतों की बिजाई की जाती थी, लेकिन पहले ट्रैक्टर और उसके बाद हाथ से चलने वाले छोटे ट्रैक्टर ने भी बैलों की अहमियत को खत्म कर दिया है.
कृषि विवि ने किया एमओयू
अब बैल सड़कों पर लावारिस फिरते नजर आ रहे हैं, जिन्हें अब आवारा पशुओं का नाम दे दिया गया है. लिहाजा, कृषि विवि पालमपुर का मवेशियों में आनुवांशिक लाभ के लिए सेक्सुअल सीमेन के इस्तेमाल को लेकर जीनस एबीएस इंडिया प्राइवेट लिमिटेड पुणे के साथ एक समझौता (एमओयू) हुआ है. कंपनी विवि को ऐसे टीके (स्ट्रॉ) देगी, जिससे गाय से बछड़ी ही पैदा होगी. इससे आने वाले दिनों में सड़कों में घूमने वाले लावारिस पशु भी कम दिखेंगे. कंपनी की ओर से विवि को दिए गए टीकों को पुख्ता करने के लिए विवि अपनी लैब में इस पर विवि करीब डेढ़ साल तक शोध करेगा. इसका शोध स्वदेशी और विदेशी गाय दोनों पर होगा.
वीर्य उपयोग के संबंध में किया गया पहला अध्ययन
कृषि विवि के कुलपति प्रो. एचके चौधरी ने और विस्तार शिक्षा निदेशक डॉ. मधुमीत सिंह ने बताया कि यह राज्य में पहले से ही जमा किए गए वीर्य उपयोग के संबंध में किया गया पहला अध्ययन है. विवि और कंपनी की ओर से प्रबंध निदेशक डॉ. अरविंद गौतम, हेड ऑपरेशन राहुल गुप्ता ने वर्चुअल मोड के माध्यम से समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए. इस मौके पर विवि के रजिस्ट्रार पंकज शर्मा भी मौजूद रहे.