चंबाः हिमाचल प्रदेश के चंबा जिले में मौजूद वाइल्ड लाइफ सेंक्चुरी दुर्लभ प्रजाति के वन्य प्राणियों के लिए जीवनदायिनी बन गई है. लुप्तप्राय श्रेणी में शामिल कस्तूरी मृग जिले की कालाटोप- खजियार वाइल्ड लाइफ सेंक्चुरी एरिया में पहली मर्तबा कैमरे में कैद हुआ है. स्थानीय व्यवसायी ने वन्य प्राणी विभाग के समक्ष सेंचुरी में कस्तूरी मृग की मौजूदगी से जुड़ा पुख्ता सबूत पेश किया है.
बता दें कि इससे पहले अक्टूबर 2018 में, चंबा में कुगती वन्यजीव अभयारण्य में वन्यजीव गणना के दौरान भी फोटोग्राफिक साक्ष्य के साथ कस्तूरी मृग की रिपोर्ट की गई थी. जिसके बाद इस वर्ष की शुरुआत में कालाटोप खज्जियार सेंक्चुरी से कस्तूरी मृग की उपस्थिति रिपोर्ट की गई थी, लेकिन ऐसी कोई तस्वीर विभाग को नहीं मिल पाई थी. बहरहाल जिला चंबा के वन्य जीव अभयारण्यों में भूरे भालू तथा बर्फानी तेंदुए के बाद अब फोटो के माध्यम से कस्तूरी मृग की मौजूदगी दर्ज होना जिले की वन्य प्राणी श्रृंखला की समृद्धता को दर्शाता है.
जानकारी के अनुसार कालाटोप- खज्जियार वन्यजीव अभयारण्य से कस्तूरी मृग की उपस्थिति की सूचना मिली है. यह पहली बार है कि वाइल्ड लाइफ फोटोग्राफर और स्थानीय व्यवसायी सूरज ने ये फोटोग्राफिक सबूत पेश किए. डीएफओ वाइल्ड लाइफ निशांत मंढ़ोत्रा ने बताया कि कालाटोप-खज्जियार अभयारण्य से इसका पहला फोटोग्राफिक साक्ष्य है.
बता दें कि कस्तूरी मृग मुख्य रूप से दक्षिणी एशिया के पहाड़ों में, विशेष रूप से हिमालय के वनाच्छादित और अल्पाइन स्क्रब निवास में रहते हैं. जानकारी के अनुसार यूरोप में लगभग लुप्त हो चुकी यह प्रजाति अब सिर्फ एशिया में ही बची है.
डीएफओ निशांत ने बताया कि अंतर्राष्ट्रीय प्रकृति संरक्षण संघ के अनुसार एक लुप्तप्राय श्रेणी की प्रजाति है. जानवर को उसके कस्तूरी और मांस के लिए मारे जाने का खतरा है. इसे वन्यजीव संरक्षण अधिनियम, 1972 की अनुसूची 1 में रखा गया है. खास बात ये है कि कस्तूरी मृग के शरीर की एक विशेष पोटली के चलते इस नर हिरण से एक खुशबु निकलती है और इसका उपयोग इत्र के अलावा कई औषधियों में होने के कारण अंतर्राष्ट्रीय बाजार में इसकी कीमत लाखों में है.