हिमाचल प्रदेश

himachal pradesh

ETV Bharat / state

हिमाचल में तेज आंधी-तूफान ने मचाई तबाही, बागवानों को करोड़ों का नुकसान

पिछले दो दिन से रुक-रुक कर हो रही बारिश कई जगह लोगों के लिए आफत बनकर आई है. ऊंचे क्षेत्र में आंधी-तूफान से बागवानों के पेड़ों में लगे फलों को भारी नुकसान पहुंचा है.

Loss due to thunderstorm in himachal

By

Published : Jun 13, 2019, 2:01 PM IST

Updated : Jun 13, 2019, 3:00 PM IST

शिमला: हिमाचल प्रदेश के ऊपरी इलाको में हो रही बारिश ने जंहा किसानों को राहत दी है, वहीं, इस बारिश ने बागवानों पर कहर ढाया है. पिछले दो दिन से रुक-रुक कर हो रही बारिश कई जगह लोगों के लिए आफत बनकर आई है. ऊंचे क्षेत्र में आंधी-तूफान से बागवानों के पेड़ों में लगे फलों को भारी नुकसान पहुंचा है.

शिमला जिला के ठियोग की भराना पंचायत में बीते शाम हुई जोरदार बारिश और तूफान ने सेब की फसल को तबाह कर दिया है. भराना पंचायत के कई गावों में भयंकर तूफान ने सेब के पौधों का भारी नुकसान पहुंचाया है. ये हाल सिर्फ ठियोग में ही नहीं है बल्कि प्रदेश के बाकि जिलों में भी बारिश ने सेब की फसल को काफी नुकसान पहुंचाया है.

बारिश के साथ चली आंधी और तूफान से बगीचों में झड़कर सेब के ढेर लग गए हैं. जिससे सेब के पौधे कई जगह बिलकुल खाली ही हो गए हैं, जिससे बागवानों के होश उड़े हुए हैं. यही नहीं तूफान का कहर सेब के पौधों में ओलावृष्टि से बचने के लिए लगाए गए एंटी हेल नेट पर भी बरपा.

तूफान में उड़े एंटी हेल नेट.

तूफान से सेब के पौधों पर लगाई जालियां (एंटी हेल नेट) हवा में उड़ गईं और अपने साथ सेब की फसल और टहनीयों को भी उखाड़ कर ले गई. सेब के पौधों में लगाए गए बांस के डंडे पूरी तरह बीच से ही चटक गए, जालियां सेब की फसल को तबाह करती हुई पेड़ों से दूर उड़ गई.

बारिश के साथ आई ऐसी आपदा से बागवान बेहद परेशान हैं. बागवानों की साल भर की कमाई पल भर में तबाह हो गई है. बागवानों ने सरकार से ऐसी आपदा की घड़ी में मदद की गुहार लगाई है. बता दें कि हिमाचल प्रदेश में बागवानी जीडीपी का एक मुख्य क्षेत्र है. हर साल चार हजार करोड़ रुपये से ज्यादा की सेब की फसल हिमाचल में पैदा होती है.

तूफान की वजह से सेब की फसल को भारी नुकसान.

हालांकि मुख्य आर्थिकी क्षेत्र होने के कारण बागवानी को लेकर सरकार ने भी कई तरह के प्रयास किए हैं, लेकिन फिलवक्त मौस की जो मार बागवानों पर पड़ी है उसकी भरपाई करना मुश्किल है. इस साल अब तक करीब 42 करोड़ से ज्यादा का नुकसान हिमाचल के बागवानों को हो चुका है.

इस नुकसान का एकमात्र कारण मौसम रहा है. पहले बेमौसमी बर्फबारी ने किन्नौर जैसे जिलों में सेब के पौधों को नुकसान पहुंचाया और इसके बाद सूखे ने सेब के पौधों पर अपना कहर बरपाया. इस साल प्री-मानसून में 62 फीसदी कम बारिश हुई है. अब भारी बारिश और आंधी तूफान की वजह से जो बची हुई फसल पेड़ों पर थी वो भी तबाह हो गई है.

हालांकि हिमाचल में सेब की फसल पर मौसम की मार न पड़े इसके लिए एंटी हेल गन का इस्तेमाल भी किया जाता है, लेकिन ऊपरी इलाकों में इसका खासा असर देखने को नहीं मिलता. आपको बता दें कि प्रदेश में कुल 6 एंटी हेल गन्स हैं. जिसमें से 3 सरकारी और 3 निजी हैं.

हिमाचल में तेज आंधी-तूफान ने मचाई तबाही.

इसके अलावा सरकार सेब को नुकसान न हो इसके लिए बागवानों को एंटी हेल नेट लेने की सलाह भी देती रहती है. सरकार ने इसके लिए बागवानों को सब्सिडी स्कीम भी चला रखी है. सरकार एंटी हेल नेट खरीदने पर 80 फीसदी की सब्सिडी देती है. ये सब्सिडी 5,000 Sq मीटर एंटी हेल गन तक के लिए ही दी जाती है.

अब जिन क्षेत्रों में बागवानों को नुकसान हुआ है उनकी ये मांग है कि सरकार इस ओर ध्यान दे और जिन बागवानों की सेब और अन्य फलों को नुकसान हुआ है उसके लिए उचित मुआवजा दिया जाए.

Last Updated : Jun 13, 2019, 3:00 PM IST

ABOUT THE AUTHOR

...view details