बिलासपुर में राज्य स्तरीय नलवाड़ी मेले में कुश्ती प्रतियोगिता बिलासपुर: जिला बिलासपुर के राज्य स्तरीय नलवाड़ी मेले में कुश्ती प्रतियोगिता शुरू हो गई है. मंगलवार को कुश्ती प्रतियोगिता दूसरे दिन में प्रवेश कर गई. ऐसे में इस कुश्ती प्रतियोगिता का शुभारंभ पूर्व वरिष्ठ मंत्री रामलाल ठाकुर द्वारा किया गया. वहीं, इस कुश्ती में खास बात यह रही कि इस कुश्ती प्रतियोगिता में 80 साल से ज्यादा तक के बुजुर्ग इसमें भाग लेने के लिए पहुंचे. यही नहीं इन बुजुर्गों के साथ-साथ 10 से 15 साल की उम्र के बच्चे कुश्ती प्रतियोगिता में अपना दमखम दिखाने के लिए पहुंचे.
कुश्ती प्रतियोगिता में भाग लेने पहुंचे पहलवान. आपको बता दें कि यह कुश्ती प्रतियोगिता 23 मार्च तक आयोजित की जाएगी. वहीं, मंगलवार को बुजुर्ग व छोटे पहलवानों ने अपना दमखम दिखाया. बिलासपुर, नालागढ़, हमीरपुर व अन्य स्थानों से बिलासपुर नलवाड़ी मेले में पहुंचे बुजुर्ग पहलवानों का कहना है कि वह बिलासपुर का नलवाड़ी मेले में हर साल कुश्ती लड़ने के लिए पहुंचते हैं. लगभग उनको कई दशक कुश्ती प्रतियोगिता में अपना दमखम दिखाते हुए हो गया है. उन्होंने बताया कि एक समय ऐसा भी था जब वहां पर पाकिस्तान के पहलवानों के साथ भी लड़ा करते थे. उन्होंने कहा कि कुश्ती में अब वह पुरानी वाली बात नहीं रही है फिर भी वह इस परंपरा को ताजा रखने के लिए संजोए रखने के लिए इसमें हर साल भाग लेते हैं.
कुश्ती प्रतियोगिता में भाग लेने पहुंचे बच्चे और बुजुर्ग. बिलासपुर के साथ लगते गांव बैरी से यहां पर पहुंचे बुजुर्ग पहलवान का कहना है कि वह लगभग 40 साल से इस कुश्ती प्रतियोगिता में भाग ले रहे हैं. वर्तमान में उनकी उम्र 80 से ज्यादा है, लेकिन फिर भी अभी तक अपने आपको तरोताजा मजबूत महसूस करते हैं. वहीं, बुजुर्गों द्वारा इस कुश्ती में पहुंचना और अपना दमखम दिखाने में बुजुर्ग काफी खुश नजर भी आए. इन बुजुर्ग पहलवानों को देखने के लिए कुश्ती प्रतियोगिता में स्थानीय लोगों का काफी हुजूम एकत्रित हो गया.
कुश्ती प्रतियोगिता में भाग लेने पहुंचे पहलवान. राज्य स्तरीय नलवाड़ी मेले में कुश्ती प्रतियोगिता में 10 से 15 साल के छोटे बच्चे भी अपना दमखम दिखा रहे थे. इन बच्चों ने काफी प्रयास किए और कई स्थान विजेता भी रहे. उधर, वरिष्ठ पूर्व मंत्री रामलाल ठाकुर ने बताया कि बिलासपुर की राज्य स्तरीय नलवाड़ी मेले की कुश्ती पूरे प्रदेश भर में काफी प्रचलित है. इस परंपरा को संजोए रखने के लिए बिलासपुर व सरकार ने अपनी बेहतर प्रयास किया है.
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