बिलासपुर: जिला की सदर तहसील के नोआ गांव की 47 वर्षीय दसोदा देवी सब्जी उत्पादन व फूड प्रोसेसिंग में अपनी पहचान बनाने वाली एक प्रगतिशील किसान हैं. दसोदा देवी 0.32 हैक्टेयर कृषि भूमि पर सब्जी उगाने के साथ-साथ फूड प्रोसेसिंग में भी अपनी आर्थिकी को मजबूत करने में कामयाब रही है.
दसोदा देवी पहले परंपरागत खेती कर रही थी, लेकिन प्रति हैक्टेयर कम उत्पादान उनकी परेशानी का कारण थी. हिमाचल प्रदेश फसल विविधिकरण प्रोत्साहन परियोजना के प्रथम चरण के तहत संचालित की गई नोआ उपयोजना के चलते उन्हें सब्जी व फूड प्रोसेसिंग से आय अर्जित करने का अवसर मिला. इस उपयोजना के तहत गांव की 25 हैक्टेयर कृषि भूमि के लिए स्थाई सिंचाई का प्रबंध किया गया, जिससे यहां के 41 कृषक परिवारों को लाभ हुआ.
दसोदा देवी ने सब्जी उत्पादन से बनाई पहचान. परियोजना अधिकारियों ने यहां किसान विकास संघ व स्वयं सहायता समूह गठित कर किसानों को नकदी फसलें व फूड प्रोसेसिंग के बारे में प्रेरित किया. विभिन्न तरह के प्रशिक्षण शिविरों के जरिये किसानों को व्यावसयिक खेती के गुर सिखाए गए. किसानों को उन्नत बीज, फार्म मशीनरी व कृषि उपकरण उपलब्ध करवाने में परियोजना ने सहयोग किया.
दसोदा देवी ने भी अन्य किसानों की तरह प्रशिक्षण हासिल किया और रबी 2019-20 में दो बीघा में आलू, लहसुन, प्याज, पालक, धनिया की खेती की, जिससे उसने कुल आय 71 हजार 764 रुपये प्राप्त की और खरीफ 2020 में 3 वीघा में चुकंदर भिंडी व खीरा की खेती कर 92 हजार 555 रुपये आय आर्जित की. दसोदा देवी ने खेती के अलावा फूड प्रोसेसिंग में अच्छी पहचान बनाई.
वर्ष 2020 में बड़ियां व सीरा से 33 हजार 500 रुपये आय प्राप्त की. साथ ही साथ उन्होंने चुकंदर की खेती कर ताजा सब्जी के लिए लगभग 28 हजार 460 रुपये और चुकंदर को सुखाकर उसका पांच किलो पाउडर तैयार किया. चुकंदर पाउडर को उन्होंने कामधेनु संस्था को चुकंदर की बर्फी तैयार करने के लिए 1500 रुपये प्रति किलो के हिसाब से बेचा और शुद्व लाभ सात हजार 500 रुपये कमाया.
फसल विविधिकरण व फूड प्रोसेसिंग से बड़ियां व सीरा उत्पादन कर दसोदा देवी अब एक खुशहाल किसान बनी है. सब्जी, बड़ियां व सीरा व इत्यादि को स्थानीय बाजार में बेच कर शानदार कमाई कर रही हैं. उन्होंने एक वर्ष में 2 लाख 33 हजार 779 रुपये आय अर्जित की और अन्य किसानों के लिए मिसाल बन गई हैं और उनकी सफलता को देखकर यहां के अन्य किसान भी सब्जी उत्पादन करने लगे हैं, ताकि अपनी आर्थिकी को बढ़ाकर जीवन स्तर में सुधार ला सके.