सोलनः प्राचीन समय से हिमाचल को "देवभूमि" यानी देवताओं का स्थान के नाम से जाना जाता है. हिमालय पर्वत की शानदार ऊंचाई, अपनी विहंगम सुन्दरता और आध्यात्मिक शांति की आभा के साथ देवताओं का प्राकृतिक घर के सामान प्रतीत होता है. उच्च पर्वत मालाओं और पृथक घाटियों का राज्य होने के नाते यहां मंदिर वास्तुकला की कई अलग-अलग शैलियों का विकास हुआ और यहां पर नक्काशीदार पत्थर शिखर, पैगोड़ाशैली के धार्मिक स्थल, बौद्ध मठों के मंदिर या सिक्ख गुरुद्वारा हैं.
पर्यटन दृष्टि से अगर बात की जाए तो सोलन जिला भी पर्यटकों को लुभाने में आगे है. पर्यटक जब प्रवेश द्वार से हिमाचल आते हैं तो अक्सर कसौली और चायल की पहाड़ियों को देखकर अपने कदम थाम लेते हैं. कई बार कसौली और चायल की पहाड़ियों को देखकर पर्यटक हिमाचल प्रदेश के ऊपरी क्षेत्रों में जाने से गुरेज करते हैं.
शायद यही वजह है कि अब सोलन जिला पर्यटन दृष्टि से आगे बढ़ने लगा है. सोलन में कसौली और चायल की पहाड़ियों के साथ ही एशिया का सबसे ऊंचा शिव मंदिर जटोली टेम्पल भी पर्यटकों की पहली पसंद है. ट्रेकिंग करने के लिए यहां करोल का टिब्बा है जहां पांडवों द्वारा गुफा बनाई गई है. वहीं साधुपुल में बने हट्स भी पर्यटकों को काफी लुभाते है.
मेले व मन्दिर हिमाचल की शान
प्राकृतिक सौन्दर्य और पर्यटन-स्थल-हिमालय के वक्ष पर फैले इस राज्य में प्रकृति ने उन्मुक्त भाव से सौन्दर्य को चहुं ओर छिटकाया है. समूचे राज्य में यत्र-तत्र अनेक सौन्दर्य-स्थल और पर्यटन-स्थल हैं. हिमाचल की राजधानी शिमला है, जिसे पर्वतों की रानी कहा जाता है. कुफ्री, नालदेरा, चम्बा, मंडी, डलहौजी, चायल, कांगड़ा, कुल्लू, मनाली, पांवटा साहिब आदि स्थान अपने सौन्दर्य के लिए प्रसिद्ध हैं.
वहीं, चंबा का मिंजर मेला, रामपुर बुशहर का लवी मेला, कुल्लू का दशहरा, कुफ्री का वार्षिक स्क्रीइंग उत्सव जगत् प्रसिद्ध हैं. बोर्टिंग के लिए रेणुका, रिवाल्सर और गोविन्दसागर, मछली के शिकार के लिए रोहड़, वरोट व गिरी नदी आदर्श स्थान हैं.
बर्फ से ढकारोहतांग पास दर्रा
बर्फ से ढका यह रोहतांग पास लेह राज मार्ग पर स्थित है. समुद्री तल से इसकी ऊंचाई 4,111 किलोमीटर है. यहां से ग्लेशियर, बर्फ की सफेद चादर से ढकी हिमालय की चोटियों और नदी का खूबसूरत दृश्य दिखाई देता है. यह लेह जाने का मुख्य मार्ग है. पर्यटकों बढ़ती लोकप्रियता के कारण टूरिस्ट सीजन में रोहतांग मार्ग अक्सर पर्यटकों से भरा रहता है. यह दर्रा, दुनिया की सबसे ऊंची चलने वाली रोड है. जहां हर साल लाखों पर्यटक इस लॉफी पहाड़ पर भ्रमण करने आते हैं. यहां से मनाली हिल स्टेशन का मनोहर दृश्य दिखाई देता है. मनाली से यहां से 51 किलोमीटर की दूरी पर है. इन सभी के अलावा इस पर्यटन स्थल में आकर पर्यटक ट्रैकिंग, पैरालाइडिंग कर सकते हैं.
हिमाचल की मनमोहक मनाली
प्रदेश के हिल स्टेशन के क्षेत्रों की बात करते हैं तो मनाली का नाम ही सबसे पहले आता है. मनाली पर्यटक स्थलों का सेंटर है. देश विदेश के सेलानी यही आ कर रुकते हैं. मनाली बहुत्र ही ठंडा हिल स्टेशन है. यहां का मौसम साल भर एक जैसा ही रहता है. यहां गर्मियों में भी ठंड का एहसास होता है. यहां पर बर्फ से ढके पहाड़ों का नज्ज़ारा दिल को छू जाता है. कुल्लू-मनाली घुमने लोग ज्यादातर मई-जुलाई के समय आते हैं. कुल्लू-मनाली से दिल्ली का सड़क मार्ग 570 किलोमीटर दुरी पर है.