सोलन: कोरोना वायरस की दहशत पूरी दुनिया में फैली हुई है. भारत भी इससे अछूता नहीं है. कोरोना वायरस का असर हर वर्ग पर पड़ा है चाहे उद्योग जगत हो या फिर किसान-बागवान. लॉकडाउन के चलते हिमाचल के किसानों को इन दिनों बेहद मुश्किल दौर से गुजरना पड़ रहा है. किसानों की तैयारी फसलें खेतों में ही बर्बाद हो रही हैं.
हिमाचल का अधिकांश भू-भाग खेती में ही सिमटा है और यहां के लोग खेती और बागवानी पर ही निर्भर रहते हैं. वहीं, लॉकडाउन होने के चलते हिमाचल के किसानों पर इसका गहरा प्रभाव पड़ा है. इन दिनों किसान-बागवान कोरोना वायरस का दंश झेल रहे हैं, लेकिन एग्जॉटिक वेजिटेबल के खेती करने वाले किसानों पर इसका गहरा असर देखने को मिल रहा है.
हिमाचल प्रदेश के करीब 40 फीसदी किसान एग्जॉटिक वेजिटेबल की खेती कर रहे हैं, लेकिन कोरोना वायरस की वजह से लगे लॉकडाउन के चलते फसल खरीददारों तक नहीं पहुंच पा रही है. वहीं, अगर रबी फसलों की बात की जाए तो मटर की फसल लॉकडाउन में भी मंडियों तक पहुंच रही थी लेकिन एग्जॉटिक फसलें अभी भी खेतों में ही हैं. जिससे एग्जॉटिक खेती करने वाले किसानों की दिन-ब-दिन मुश्किलें बढ़ती जा रही है.
मंडियों तक नहीं पहुंच पा रही सब्जियां
एग्जॉटिक खेती कर रहे चायल गांव के किसान मनीष ठाकुर का कहना है कि मटर या अन्य फसलों की खेती करने वाले किसानों की फसल मंडियों तक तो पहुंच रही है, लेकिन हमारा कारोबार बिल्कुल ठप्प हो चुका है. उन्होंने बताया कि फरवरी माह में विदेशी सब्जियां जैसे- चाइना कैबेज, आइसबर्ग, रेडिचो, लेट्यूस तैयार हो चुकी हैं लेकिन होटल कारोबार बंद होने और ट्रांसपोर्टेशन की सुविधा नहीं होने के कारण सब्जियां खेतों से मंडियों तक नहीं पहुंच पा रही हैं. इन सब्जियों का ज्यादातर इस्तेमाल अप्रैल से लेकर जून माह तक होता है क्योंकि यह समय शादियों का सीजन होता है और इन दिनों इन सब्जियों की डिमांड ज्यादा होती है.
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