शिमला: बरसात के मौसम में हर साल हिमाचल प्रदेश (Himachal Pradesh) को जान और माल का भारी नुकसान झेलना पड़ता है. इस दौरान सड़क दुर्घटनाओं (road accidents) में तो अनमोल जीवन काल का ग्रास बनते ही हैं, भूस्खलन (landslide) और फ्लैश फ्लड (flash flood) यानी अचानक से पानी आने के कारण भी लोग असमय मौत के मुंह में चले जाते हैं. इस साल पहले धर्मशाला में फिर किन्नौर और अब लाहौल-स्पीति में भूस्खलन ने सभी को दहला कर रख दिया.
फ्लैश फ्लड में बह जाने के कारण कुछ लोग लापता भी हैं. कुल्लू (Kullu) जिले के मणिकर्ण (Manikarna) में ब्रह्म गंगा नदी (Brahma Ganga River) में आई बाढ़ ने तो किसी को संभलने का मौका भी नहीं दिया. किन्नौर के बटसेरी में काल के रूप में भारी-भरकम पत्थर पहाड़ से लुढ़कते हुए आए और नौ लोगों की जान ले ली. वैसे तो बरसात के समय में भूस्खलन और फ्लैश फ्लड से पूरा हिमाचल ही दहल उठता है, लेकिन सोलन (solan) व शिमला (Shimla) में अधिक नुकसान हुआ.
लोकसभा ( Lok Sabha) में भी रखे गए आंकड़ों के अनुसार वर्ष 2019 में 24 जून से लेकर 30 सितंबर तक 41 लोग भूस्खलन की चपेट में आने के कारण जान गवां बैठे. यानी तीन महीनों में 41 लोग भूस्खलन के कारण मारे गए. इसी अवधि में फ्लैश फ्लड में 7 लोग बह गए. शिमला व सोलन में सत्रह-सत्रह लोग मौत का शिकार हुए. यानी अकेले दो जिलों में सिर्फ भूस्खलन के कारण 37 लोगों की मौत हुई. इसके अलावा बिलासपुर में एक, चंबा में तीन, हमीरपुर में एक, कांगड़ा में दो, कुल्लू में दो लोग मारे गए. हैरानी की बात है कि किन्नौर, लाहौल-स्पीति, मंडी, सिरमौर व ऊना में वर्ष 2019 में भूस्खलन के कारण किसी की जान नहीं गई. इसी अवधि में फ्लैश फ्लड के कारण कुल्लू में चार लोगों की मौत हुई. शिमला में दो व ऊना में एक व्यक्ति की मौत फ्लैश फ्लड के कारण हुई.