शिमला:बेशक ये समय इंटरनेट का है और बहुत से लोग ई-बुक्स की तरफ रुझान रखते हैं, लेकिन लिखित शब्द का जादू अभी भी बरकरार है. हाथ में मोबाइल और मोबाइल में सारी दुनिया कैद है, परंतु किताब के पन्नों का जादू और खुश्बू अभी भी महक रही है. शिमला बुक फेयर इसका जीवंत उदाहरण है. कोरोना के कारण दो साल बाद आयोजित हुए पुस्तक मेले में हर वर्ग के लिए पुस्तकें हैं.
कोरोना के कारण तनाव और अवसाद का दौर आया तो लोगों में धर्म-अध्यात्म के प्रति रुचि बढ़ी. यही कारण है कि शिमला बुक फेयर में आध्यात्मिक किताबों की हाथों-हाथ बिक्री हो रही है. वन्य प्राणियों पर केंद्रित लेखन के लिए मशहूर लेखक सुनील कुमार सिंक्रेटिक का कहानी संग्रह बनकिस्सा और बात बनेचर शीर्षक से किताबें हाथों-हाथ बिक गई और स्टॉल पर नई खेप मंगवानी पड़ी.
वहीं, वाणी प्रकाशन के स्टॉल पर विजयदान देथा, उदय प्रकाश, हरिशंकर परसाई, अमृता प्रीतम की किताबें बिक रही हैं. मशहूर शायर जॉन एलिया के प्रति युवाओं की दीवानगी देखी जा रही है. नेशनल बुक ट्रस्ट का स्टाल भी पुस्तक प्रेमियों के आकर्षण का केंद्र बना (Shimla Pustak Mela 2022) हुआ है. स्कूली बच्चों को भी प्रशासन बुक फेयर में ला रहा है. शिमला के विभिन्न स्कूलों के बच्चे किताबें खरीद रहे हैं. शिमला के एक निजी स्कूल की छात्राएं जिया, पायल, ओशिका, रिद्धिमा, अमिल, पूजा आदि ने पुस्तक मेले से पोइट्री और फिक्शन सहित नॉन फिक्शन की किताबें खरीदीं. इन बच्चों ने जॉन ग्रीन की किताब टर्टल्स ऑल दि वे डाउन, दृष्टि दासगुप्ता की फिक्शन की किताब टूवाड्र्स दि लास्ट विश सहित हिंदी में बाल कहानियों की पुस्तकें खरीदी. बच्चों ने तेनालीराम व पंचतंत्र किताबें भी खरीदी.