शिमला: हिमाचल प्रदेश में स्कॉलरशिप स्कैम (HP Scholarship scam) लगातार सुर्खियों में रहा है. इतिहास के सबसे बड़े घोटाले (Scholarship scam in himachal) में देश की सबसे तेजतर्रार जांच एजेंसी सीबीआई भी अपनी साख के अनुरूप परिणाम नहीं दे पा रही है. ढ़ाई सौ करोड़ से अधिक के स्कॉलरशिप स्कैम मामले में हाईकोर्ट में भी याचिका दाखिल है और अदालत सीबीआई से स्टेट्स रिपोर्ट तलब करती है. इसी कड़ी में हाईकोर्ट ने चार अप्रैल को सीबीआई को धीमी जांच के लिए फटकार लगाई. हाईकोर्ट की सख्ती के बाद सीबीआई की नींद टूटी और 8 अप्रैल को जांच एजेंसी ने घोटाले से जुड़े सात लोगों को गिरफ्तार किया.
हैरत की बात है कि आठ साल पहले के घोटाले की जांच लंबे समय से सीबीआई के पास है. इस दौरान जांच एजेंसी ने अदालत में सील्ड कवर रिपोर्ट्स पेश की हैं, लेकिन छह महीने में सीबीआई कोई चार्जशीट दाखिल नहीं कर पाई है. जांच एजेंसी अब तक हाईकोर्ट में मामले की जांच को लेकर सात स्टेट्स रिपोर्ट दाखिल कर चुकी है. हाल ही में हाईकोर्ट ने मामले की सुनवाई पर सीबीआई को फटकार लगाई. अदालत ने हैरानी जताई कि अक्टूबर 2021 में जांच का जो स्टेट्स था, चार महीने बीत जाने के बाद भी जांच वहीं खड़ी है. अब हाईकोर्ट ने सीबीआई को सक्षम कोर्ट के सामने आरोप पत्र दाखिल करने का एक और मौका दिया है. यही नहीं, सीबीआई को 20 अप्रैल को हाईकोर्ट में ताजा स्टेट्स रिपोर्ट पेश करनी होगी. अदालत की इसी सख्ती के कारण सीबीआई ने जांच में तेजी लाई है. शुक्रवार को सात लोगों की गिरफ्तारी इसका संकेत है.
आखिर ये स्कॉलरशिप स्कैम (Himachal Scholarship scam) है क्या और अब तक इस मामले में क्या अपडेट हुई हैं, ये जानना जरूरी है. हिमाचल के छात्रों के हक पर डाले जा रहे इस डाके की पोल बड़े समय बाद खुली थी. जैसे ही घोटाले का पता चला, हिमाचल की जयराम सरकार ने इसकी सीबीआई जांच के आदेश दिए। मई 2019 यानी करीब तीन साल पहले सीबीआई ने विधिवत मामला दर्ज कर जांच शुरू की. अब जयराम ठाकुर के नेतृत्व वाली सरकार का कार्यकाल पूरा होने की दिशा में है, लेकिन जांच अभी अधूरी है. कुल घोटाला 250 करोड़ रुपए का है. हिमाचल ही नहीं, देश के अन्य राज्यों में भी ठगों का जाल फैला था, जिसने इस घोटाले को अंजाम दिया. दरअसल, फर्जी संस्थान खोलकर बैंक खातों में फर्जी तरीके से स्कॉलरशिप की रकम जमा की जाती रही.
घोटाले की तह में जाने से पहले मामले की ताजा स्थिति पर नजर डालते हैं. सीबीआई ने हाल ही में हाईकोर्ट में जो स्टेट्स रिपोर्ट पेश की है, उसके अनुसार अब तक की जांच में 1176 संस्थानों की संलिप्तता का पता चला है. छात्रवृत्ति देने वाले 266 निजी संस्थानों में से 28 संस्थानों को घोटाले में शामिल पाया गया है. सीबीआई के अनुसार उन 28 संस्थानों में से 11 की जांच पहले ही पूरी हो चुकी है. जांच के बाद आरोप पत्र भी दाखिल किए गए हैं. अभी 17 संस्थानों के खिलाफ जांच चल रही है.
कुल ढाई सौ करोड़ रुपए से अधिक के स्कॉलरशिप स्कैम में एक-एक कदम पर जमकर धांधली हुई. छात्रवृत्ति की रकम की मनमानी बंदरबांट की गई. संस्थानों के दस्तावेजों की जांच किए बिना ही पैसा बांट दिया गया।. यहां बता दें कि वित्तीय वर्ष 2013-14 में स्कॉलरशिप का ऑन लाइन पोर्टल तैयार हुआ. फिर समय-समय पर 250 करोड़ की रकम निजी शिक्षण संस्थानों के खाते में डाल दी गई. इस रकम में से कुल 56 करोड़ की राशि ही सरकारी संस्थानों में अध्ययन करने वाले बच्चों के खाते में जमा हुई. हैरत है कि 2013-14 के बाद से ही कई छात्र शिक्षा विभाग में शिकायत कर रहे थे कि उन्हें स्कॉलरशिप का पैसा नहीं मिल रहा है, लेकिन किसी ने भी इन शिकायतों पर ध्यान नहीं दिया.