शिमला:हिमाचल में किसान आंदोलन और तेज होने लगा है, किसानों ने अपनी मांगों को लेकर सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है. इसी के तहत आज से किसान मोर्चा, जेल भरो आंदोलन शुरू (Jail Bharo Movement of Himachal Kisan Morcha) करेगा. राजधानी शिमला में विभिन्न जगहों से लगभग 30 संगठन इकट्ठा होकर सरकार के खिलाफ हल्ला बोलेंगे और कानून का उल्लंघन कर जेल में जाएंगे.
हिमाचल संयुक्त किसान मंच के (Sanyukta Kisan Manch himachal) सह संयोजक संजय चौहान ने बताया कि आज अदानी एग्री फ्रेश द्वारा जो सेब खरीद के दाम तय किए हैं, वह उसे पूर्ण रूप से नकारते हैं. क्योंकि यह गत वर्ष की तुलना में काफी कम हैं. जबकि खाद, कीटनाशक, फफूंदीनाशक, कार्टन, ट्रे व अन्य लागत वस्तुओं की कीमतों में 25 से 80 प्रतिशत तक की वृद्धि की गई. जबकि गत वर्ष कंपनियों के द्वारा जिस सेब का दाम 85 रुपये, 73 रुपये, 63 रुपये व 53 रुपये प्रति किलो के हिसाब से तय किए थे, वह इस वर्ष अदानी द्वारा 76 रुपये, 68 रुपये, 60 रुपये व 52 रुपये प्रति किलो तय किए गए हैं.
इससे स्पष्ट हो जाता है कि सरकार अदानी व अन्य कंपनियों के दबाव में काम कर रही है और इन कंपनियों के द्वारा बागवानों का शोषण व उन्हें लूटने की खुली छूट दी जा रही है. संयुक्त किसान मंच सरकार से मांग करता है कि सरकार तुरंत अदानी व अन्य कंपनियों द्वारा घोषित दाम को निरस्त करें और कंपनियों के द्वारा बागवानों के शोषण व लूट पर रोक लगाए. अपने वादे के अनुसार सरकार इन कंपनियों के द्वारा सेब के दाम तय करने के लिए कमेटी का गठन करे, जिसमें बागवानों के प्रतिनिधि आवश्य सम्मिलित हो.
संजय चौहान ने कहा कि सरकार की इस वादा खिलाफी और किसान बागवान विरोधी रवैये के विरुद्ध संयुक्त किसान मंच अपना आंदोलन तेज करेगा और बुधवार को जेल भरो आंदोलन आरंभ करेगा. ये आंदोलन तब तक जारी रहेगा जब तक सरकार सभी मांगों को मानकर इन्हें जमीनी स्तर पर लागू कर किसानों व बागवानों को राहत प्रदान नहीं करती. संजय चौहान ने कहा कि सरकार द्वारा अभी तक संयुक्त किसान मंच द्वारा तय किए गए 20 सूत्रीय (Himachal Apple growers demand) मांगपत्र पर कोई भी ठोस कार्रवाई नहीं की गई है और सरकार मात्र झूठी घोषणाएं कर भ्रम फैला रही है. सरकार निरंतर किसान विरोधी नीतियों को लागू कर कृषि संकट को बढ़ा रही है. जिससे प्रदेश में आज कृषि व बागवानी से आजीविका कमाने वाले लाखों परिवारों की रोजी रोटी पर संकट खड़ा हो गया है.
बता दें कि 5 अगस्त को हजारों की संख्या में बागवानों ने शिमला में सचिवालय का घेराव किया था. इस घेराव ने तीन दशक पहले के आंदोलन की याद ताजा कर दी थी. हालांकि प्रदेश में किसान अपनी मांगों (Himachal Apple growers demand) को लेकर कई बार आंदोलन कर चुके हैं, परंतु बागवान 32 साल बाद इस तरह से उग्र प्रदर्शन करने निकले. ठीक 32 साल पहले भाजपा सरकार के दौरान ही बागवानों पर पुलिस ने गोलियां बरसाई थीं. तब कोटगढ़ में पुलिस की गोलीबारी से तीन बागवानों की मौत हुई थी. सेब उत्पादन हिमाचल में आर्थिकी का प्रमुख आधार है. इस समय बागवान सेब से जुड़ी बीस मांगों को लेकर आंदोलनरत हैं. सरकार के साथ बैठकों का दौर भी चल रहा है.
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