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हिमाचल में बगावत पर उतरी नड्डा की सेना, भाजपा पदाधिकारी दे रहे सामूहिक इस्तीफे  

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Published : Oct 16, 2021, 7:51 PM IST

बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा के गृह राज्य हिमाचल में होने वाले उप-चुनाव से पहले पार्टी में बगावत के सुर देखने को मिल रहे हैं. संगठन और अनुशासन का दम भरने वाली बीजेपी में इन दिनों दोनों की भारी कमी देखी जा रही है. जुब्बल कोटखाई से भाजपा के बागी चेतन बरागटा के समर्थन में पूरे मंडल का खुलेआम इस्तीफा इसका स्पष्ट उदाहरण है.

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फोटो.

शिमला: राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा के गृह राज्य हिमाचल में ही भाजपा को खुलेआम विद्रोह का सामना करना पड़ रहा है. जुब्बल कोटखाई से भाजपा के बागी चेतन बरागटा के समर्थन में पूरे मंडल का खुलेआम इस्तीफा इसका स्पष्ट उदाहरण है. गौर करने वाली बात यह कि इससे पहले जुब्बल कोटखाई में महिला मोर्चा से जुड़ी पदाधिकारियों ने भी त्याग पत्र दे दिए हैं. टिकट आवंटन से खफा अर्की और फतेहपुर में भी नेता पार्टी हाईकमान और प्रदेश नेतृत्व से सरेआम नाराजगी जता चुके हैं और चुनाव प्रचार में साथ चलने के आग्रह को भी नकार चुके हैं.

हिमाचल भाजपा में विद्रोह की यह स्थिति इसलिए गंभीर मानी जा रही है क्योंकि टिकट आवंटन पर अंतिम मंजूरी राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा की ही रही है और वो हिमाचल के संगठन और इन सभी नेताओं को भली-भांति जानते हैं. संगठन और अनुशासन का दम भरने वाली बीजेपी में इन दिनों दोनों की भारी कमी देखी जा रही है. बीजेपी संगठन के नाम पर खुद को दुनिया की सबसे बड़ी पार्टी मानती है, लेकिन राष्ट्रीय अध्यक्ष के गृह राज्य में ही हालत ऐसी हो गई है कि जुब्बल-कोटखाई में पूरे मंडल ने ही सामूहिक तौर पर इस्तीफा दे दिया है. लोगों में आक्रोश के चलते नामांकन भरने के इतने दिन बीत जाने के बाद भी न तो पार्टी प्रदेश अध्यक्ष और ना ही मुख्यमंत्री जुब्बल-कोटखाई में प्रचार प्रसार को जा रहे हैं.

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अनुशासन की बात करें तो फतेहपुर में भी हालात इसी प्रकार के हैं मंडल के सदस्य पूर्व प्रत्याशी कृपाल परमार को टिकट नहीं मिलने से खफा हैं और अधिकांश ने खुद को पार्टी के कार्यों से अलग कर लिया है. कृपाल परमार ने सोशल मीडिया में भाजपा के संगठन मंत्री पवन राणा के ट्वीट पर खुले तौर पर तंज कसते हुए 2022 के विधानसभा चुनावों को लेकर चुनौती पेश कर दी है. तीसरी विधानसभा सीट अर्की पर चुनाव हो रहे हैं वहां पर भी भाजपा के वरिष्ठ नेता और पूर्व में एमएलए रहे गोविंद राम शर्मा ने भी मीडिया के समक्ष आकर स्पष्ट कह दिया है कि वो अर्की में भाजपा के लिए प्रचार-प्रसार नहीं करेंगे. उन्होंने खुद को पार्टी के कार्यों से अलग कर लिया है और फिलहाल उपचुनावों के शोरगुल से दूर मॉलरोड पर सैर का आनंद ले रहे हैं. मंडी लोकसभा सीट पर टिकट आवंटन के बाद सबसे बड़ा झटका पूर्व सांसद महेश्वर सिंह को लगा है. उन्हें भी भाजपा में अपना राजनीतिक सफर आसान नहीं दिखाई दे रहा है, जिसके चलते वो भी मजबूरी में ही पार्टी के साथ चलते दिखाई दे रहे हैं. इन सब नेताओं की भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा से भी व्यक्तिगत तौर संपर्क हैं.

उपचुनाव की दृष्टि से जुब्बल-कोटखाई की बात करें तो यहां भाजपा मंडल के अध्यक्ष गोपाल जबैइक व मंडल के तमाम पदाधिकारियों व कार्यसमिति के सदस्यों ने अपने पदों से त्यागपत्र दे दिया है. उपचुनाव में पार्टी के चेतन बरागटा को टिकट से महरूम रखने से खफा मंडल भाजपा पदाधिकारियों ने त्यागपत्र दिया है. भाजपा के प्रदेश प्रवक्ता विनोद ठाकुर ने कहा कि भाजपा अध्यक्ष अजय श्याम को जुब्बल कोटखाई मंडल भाजपा अध्यक्ष के माध्यम से त्याग पत्र मिला है. इसके अलावा कुछ पदाधिकारियों के इस्तीफे भी मिले हैं. पार्टी के प्रदेश नेतृत्व को इसे लेकर अवगत करवा दिया गया है.

उन्होंने कहा कि कार्यकर्ता के जाने से पार्टी को नुकसान तो होता है, लेकिन किन्हीं कारणों से अगर इस्तीफा दे दिया है तो अब पार्टी जल्द ही नई कार्यकारिणी का गठन करेगी. इसके अलावा जुब्बल-कोटखाई में पार्टी का पन्ना प्रमुख तक पूरा सिस्टम कार्य कर रहा है. किसी ने इस्तीफे नहीं दिए हैं. सभी उसी प्रकार पार्टी उम्मीदवार के लिए कार्य कर रहे हैं. विनोद ठाकुर ने कहा कि नीलम सरइक जोकि भाजपा की उम्मीदवार हैं उनके साथ पूरी पार्टी मिलकर कार्य कर रही है.

वहीं, जुब्बल कोटखाई मंडल भाजपा अध्यक्ष गोपाल जबैइक का कहना है कि पहले भाजपा मंडल की अहम बैठक हुई. बैठक में नीलम सरैइक को पार्टी उम्मीदवार बनाए जाने के मुद्दे पर चर्चा हुई. बैठक में मौजूद मंडल भाजपा के पदाधिकारियों व अन्य सदस्यों ने इस बात पर रोष जताया कि मंडल को विश्वास में लिए बिना नीलम सरैइक को पार्टी ने उम्मीदवार बनाया है. लिहाजा मंडल भाजपा ने उन्हें फैसला लेने को अधिकृत किया.

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जबैइक ने बताया कि मंडल भाजपा के सभी पदाधिकारियों ने त्याग पत्र दे दिया है. मंडल भाजपा के त्याग पत्र के बाद अब उप चुनाव में भाजपा के समक्ष नए मंडल के गठन की चुनौती है. साथ ही भाजपा जुब्बल कोटखाई में पूरी तरह दोफाड़ दिखाई दे रही है. त्याग पत्र देने वाला भाजपा का खेमा चेतन बरागटा के साथ खड़ा है, वहीं भाजपा काडर से जुड़े कार्यकर्ता नीलम सरैइक के साथ हैं. भाजपा के दोफाड़ होने से नुकसान पार्टी को होना निश्चित है.



जुब्बल-कोटखाई में भाजपा ने चुनावों की दृष्टि से जिले के दिग्गज नेता और कैबिनेट मंत्री सुरेश भारद्वाज को प्रभारी बनाया है. संसदीय क्षेत्र के दूसरे बड़े नेता और कैबिनेट मंत्री सुखराम चौधरी को सह-प्रभारी बनाया गया है. इनके साथ जिला के वरिष्ठ विधायक बलवीर वर्मा भी महत्वपूर्ण भूमिका अदा कर रहे हैं, लेकिन ये तीनों ही पहले तो चेतन बरागटा को मनाने में नाकाम साबित हुए उसके बाद मंडल को भी भाजपा उम्मीदवार के पक्ष में कार्य करने के लिए प्रेरित नहीं कर पाए. इससे इनकी असफलता पर भी बड़ा सवाल खड़ा हो रहा है.

वहीं, उपचुनाव के मद्देनजर अर्की भाजपा में विद्रोह की चिंगारी को बाहरी तौर पर तो कम से कम शांत करने में कामयाब रही है. भाजपाइयों के मुताबिक अनुराग ठाकुर ने ही अर्की भाजपा में सुलगी विद्रोह की आग को शांत किया और विद्रोही सुर अलाप रहे एक भाजपा नेता तो नामाकंन के बाद आयोजित की गई जनसभा में भी शामिल हो हुए. हालांकि, दो बार यहां से भाजपा विधायक रहे गोविंद राम शर्मा और उनकी मंडली नामांकन भरने व उसके बाद हुई जनसभा से लेकर आज तक पार्टी कार्यों से नदारद हैं. फतेहपुर से भाजपा के उपाध्यक्ष कृपाल परमार ने सरेआम 2022 को लेकर बात करनी शुरू कर दी है. उन्होंने चुनाव प्रचार से दूरी बना ली है. ऐसे में अनुशासन और संगठन का दम भरने वाली बीजेपी राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा के गृह राज्य में घिरती नजर आ रही है.

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