शिमला: भूकंप की दृष्टि से हिमाचल प्रदेश पांचवें सेंसिटिव जोन में है. यहां हर समय भूकंप का खतरा बना रहता है. साल 2021 में यहां 40 बार धरती कांप चुकी है. गनीमत यही है कि भूकंप की तीव्रता अधिक नहीं रही. शुक्रवार रात को चीन में भारी भूकंप आया. यदि हिमाचल के नजरिये से देखें तो 20 मई को चंबा में धरती हिली. चंबा में आये भूकंप की तीव्रता 3.2 रही. जान माल का कोई नुकसान तो नहीं हुआ, लेकिन दहशत का माहौल जरूर पैदा हो गया. विशेषज्ञ चेतावनी दे चुके हैं कि हिमालयी रीजन में बड़ा भूकंप आ सकता है.
हिमाचल पहले भी भूकंप की भयावह त्रासदी झेल चुका है. वर्ष 1905 में कांगड़ा में आये भीषण भूकंप से 20 हजार लोगों की मौत हुई थी. इसी तरह 1975 में किन्नौर में भी तबाही मची थी. साल 2016 में भारत के पड़ोसी मुल्क नेपाल में भूकंप से भारी जान माल का नुकसान हुआ था. ऐसे में हिमाचल को सतर्क रहने की जरूरत है.
शिमला में आए भूकंप से लोगों में हुई थी दहशत
हिमाचल में चंबा, कांगड़ा और मंडी भूकंप की दृष्टि से संवेदनशील इलाकों में आते हैं. इस साल 6 जनवरी को चंबा में 3.2 तीव्रता का भूकंप आया था. जनवरी में ही रात के समय मंडी, कांगड़ा, कुल्लू और बिलासपुर में तीन बार भूकंप के झटके महसूस किए गए. मई महीने में 8 तारीख को धर्मशाला में भूकंप आया. अप्रैल महीने में 5 और 16 तारीख को चंबा और लाहौल स्पीति में धरती हिली. राहत की बात यह रही कि सभी भूकंप कम तीव्रता के थे.
इससे पहले 22 अप्रैल को भी मंडी में भूकंप आया था. वहीं 13 फरवरी 24 अप्रैल और 22 मई को शिमला में भूकंप से दहशत हुई थी. 13 फरवरी को उत्तर भारत में रात के समय भूकंप आया. भूकंप का पहला केंद्र तजाकिस्तान और दूसरा केंद्र अमृतसर था. इस भूकंप के झटके हिमाचल के हमीरपुर, सोलन, सिरमौर, ऊना, कांगड़ा कुल्लू, चंबा और बिलासपुर जिलों में भी महसूस किए गए. मार्च महीने में तो तीन दिन में तीन बार प्राकृतिक आपदा के झटके आए. किन्नौर व चंबा में कम तीव्रता के झटके आये.
हिमाचल में थोड़े-थोड़े अंतराल के बाद आ रहे भूकंप
इस तरह देखें तो हिमाचल प्रदेश में नियमित अंतराल में भूकंप आ रहे हैं. पिछले साल यानी वर्ष 2020 में भी बीच बीच में धरती कांपती रही. उससे पहले 20 दिसंबर 2019 को अफगानिस्तान के हिंदुकुश रीजन में भूकंप का केंद्र था. जिसका असर कुल्लू, ऊना और कांगड़ा में भी दिखाई दिया. इस साल 9 जनवरी को कांगड़ा की करेरी झील में भूकंप का केंद्र बना तो उसके झटके मनाली में भी महसूस किए गए. यदि इन स्थितियों का आकलन करें तो एक चीज स्पष्ट होती है कि हिमाचल में थोड़े-थोड़े अंतराल के बाद हल्के झटके आ रहे हैं. कहा जाता है कि यदि कुछ अंतराल के बाद कम तीव्रता के भूकंप आते रहें तो बड़े भूकंप का खतरा कुछ हद तक टल जाता है.
2006 से 2016 तक हिमाचल में 75 बार आए भूकंप