शिमला: राजधानी के चर्चित युग हत्याकांड में तीन दोषियों को फांसी की सजा (final hearing in Shimla Yug murder case) सुनाई गई है. शिमला की स्थानीय अदालत ने 2018 में तीन दोषियों को सजा-ए-मौत सुनाई थी. इस मामले में सजा की कन्फर्मेशन के लिए हाईकोर्ट ने अंतिम फैसला (final hearing on confirmation of death sentence in Shimla Yug murder case) लेना था. सोमवार 18 अप्रैल को यह मामला हाईकोर्ट में अंतिम सुनवाई के लिए लगा था, लेकिन अदालत ने सुनवाई 6 हफ्ते बाद के लिए तय की है. इससे पहले भी मौत की सजा को लेकर कन्फर्मेशन मामले में सुनवाई टलती रही है. 2018 में हाईकोर्ट के तत्कालीन न्यायाधीश न्यायमूर्ति संजय करोल व न्यायमूर्ति सीबी बारोवालिया ने खुद को सुनवाई से अलग किया था.
शिमला की स्थानीय अदालत ने पांच सितंबर 2018 को 3 दोषियों विक्रांत बक्शी, तेजेंद्र पाल व चंद्र शर्मा को फांसी की सजा दी थी. अदालत ने इसे रेयरेस्ट ऑफ रेयर मामला (rarest of rare crime in shimla) बताते हुए तीनों को फांसी की सजा सुनाई. 25 सितंबर 2018 को हाईकोर्ट में दोषियों की फांसी की सजा के पुष्टिकरण के लिए सुनवाई थी. तब सरकारी पक्ष के पास रिकॉर्ड न होने के कारण सुनवाई 9 अक्टूबर 2018 तक टाल दी गई थी. फिर 10 अक्टूबर 2018 को हाईकोर्ट के तत्कालीन न्यायाधीश न्यायमूर्ति संजय करोल व न्यायमूर्ति सीबी बारोवालिया ने खुद को सुनवाई से अलग किया था.
जस्टिस करोल की खंडपीठ ने खुद को सुनवाई से अलग किया और बाद में सजा की पुष्टि के लिए मामला हाईकोर्ट के तत्कालीन मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति सूर्यकांत के विवेक के अनुसार किसी अन्य खंडपीठ के समक्ष सौंपने के आदेश दिए थे. उसके बाद तीन नवंबर 2018 को इस मामले की सुनवाई फिर से 18 दिसंबर तक टाल दी गई थी. तब न्यायमूर्ति धर्मचंद चौधरी व न्यायमूर्ति संदीप शर्मा की खंडपीठ के समक्ष सुनवाई तय हुई थी. 27 सितंबर 2019 को हाईकोर्ट के कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश धर्मचंद चौधरी व न्यायाधीश संदीप शर्मा की खंडपीठ ने सजा के पुष्टिकरण मामले में नए रोस्टर के मुताबिक दूसरी खंडपीठ में तय की.