शिमला/नई दिल्लीःकरीब 8 साल पहले दिल्ली में 16 दिसंबर की रात निर्भया के साथ हुई दरिंदगी के बाद देशभर में विरोध प्रदर्शन हुए थे. तब ऐसा लगा था कि लोगों की मर चुकी संवेदना फिर से जाग गई है और अब सब बदल जाएगा, लेकिन ये सोच गलत साबित हुई.
राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो की रिपोर्ट उत्तर प्रदेश के हाथरस में हुई हैवानियत इसकी बानगी है. वो लड़की 15 दिनों तक तिल-तिल कर मरती रही और मौत के बाद भी सिस्टम ने उसके अंतिम संस्कार को भी मजाक बना दिया. हमारा समाज बेटियों की आबरू को लेकर कितना संजीदा है और हमारी सरकारें बेटियों की सुरक्षा पर कितना ध्यान देती हैं, इसे समझना हो राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो के आंकड़ों पर नजर जरूर डालें.
बेटियों की बेबसी
राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो की रिपोर्ट इसके मुताबिक साल 2019 में महिलाओं के खिलाफ अपराध के कुल 4,05,861 मामले दर्ज हुए. इसमें 32,033 मामले बलात्कार के हैं, यानी देश में हर दिन औसतन 87 बेटियों का बलात्कार होता है. हद तो ये है कि 3,065 केस अकेले उत्तर प्रदेश में दर्ज किए गए हैं, जो कुल मामलों का तकरीबन 10 फीसदी है. इन आंकड़ों से साफ है कि यूपी पुलिस का ध्यान बेटियों को सुरक्षा पर है या अपराधियों को संरक्षण देने पर. हाथरस के जिलाधिकारी प्रवीन कुमार लक्षकार से जब मीडिया ने सवाल किया तो वे जवाब देने से बचते नजर आए.
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राजस्थान में सबसे ज्यादा दुष्कर्म
राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो के मुताबिक महिलाओं के खिलाफ अपराध में 59,853 मामलों के साथ उत्तर प्रदेश सबसे आगे है, इसके बाद राजस्थान का नंबर है, जहां एक साल के दौरान 41,550 अपराध दर्ज किए गए. इसी तरह तीसरे नंबर पर महाराष्ट्र है जहां 37,144 मामले दर्ज किए गए. इसमें राजस्थान में बलात्कार के सबसे ज्यादा 5,997 केस और मध्य प्रदेश में 2,485 मामले हैं. सिर्फ बीते 2-3 दिन के दौरान ही राजस्थान में रेप के 18 मामले सामने आए हैं. राजस्थान महिला आयोग की पूर्व अध्यक्ष सुमन शर्मा और भाजपा प्रवक्ता रामलाल शर्मा दोनों ने ही इसे शर्मनाक करार दिया.
30.9% मामलों में आरोपी परिचित
एनसीआरबी रिपोर्ट बताती है कि बीते साल महिलाओं के खिलाफ अपराध में 7 फीसदी की बढ़ोतरी हुई है. साल 2017 में महिलाओं के खिलाफ अपराध के 3 लाख 59 हजार 849 मामले दर्ज हुए थे जो 2018 में बढ़कर 3 लाख 78 हजार 236 हो गए और 2019 में ये आंकड़ा 4 लाख 5 हजार 861 तक पहुंच गया. गौर करने वाली बात है कि इन अपराधों के 30.9 फीसदी मामलों में आरोपी कोई रिश्तेदार या परिचित है. दिल्ली में कैट की महिला विंग की अध्यक्ष पूनम गुप्ता ने ऐसे मामलों में राजनीति नहीं करने की अपील की है.
महामारी काल के दौरान भी बेटियों पर लोगों की गंदी नजर लगी रही. केंद्रीय महिला एवं बाल विकास मंत्री स्मृति ईरानी ने बीते 22 सितंबर को राज्यसभा में बताया कि इस साल 1 मार्च से 18 सितंबर के दौरान राष्ट्रीय साइबर अपराध रिर्पोटिंग पोर्टल पर बलात्कार और बच्चों से जुड़ी अश्लीलता की 13,244 शिकायतें दर्ज की गई हैं. इन सबके बावजूद पुलिस, प्रशासन और सरकारों का ढुलमुल रवैया सवाल खड़े करता है. जाहिर है आरोपी गिरफ्तार हो जाएंगे और अपराधियों को सजा भी मिल जाएगी, लेकिन क्या इससे बेटियों की आबरू वापस मिल जाएगी और क्या पीड़ित परिवारों के जख्म भर जाएंगे?