मंडीःरोजमर्रा के कार्याें में इस्तेमाल होने वाले इलेक्ट्रॉनिक्स उपकरण अब बिजली के उतार चढ़ाव में भी बेहतर तरीके से काम कर पाएंगे. आईआईटी मंडी के शोधकर्ताओं ने इलेक्ट्रॉनिक्स डिजाइन का अनुकूलन किया है. इससे बिजली के फ्लक्चुएशन में भी हो बेहतर कार्य हो पाएगा. मोबाइल फोन, लैपटॉप, टैबलेट जैसे इलेक्ट्रॉनिक प्रोडक्ट की लाइफ बढ़ाने और गुणवत्ता कायम रखने में सहायक होगा.
बताया जा रहा है कि इससे उपकरणों की उम्र बढ़ेगी और गुणवत्ता भी कायम रहेगी. यह शोध भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी) मंडी के कम्प्युटिंग और इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग स्कूल के एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. हितेश माली और उनके शोध विद्वान विजेंद्र कुमार शर्मा के साथ-साथ आईआईटी जोधपुर के डाॅ. जय नारायण त्रिपाठी ने मोबाइल फोन और टैबलेट जैसे आधुनिक मोबाइल उपकरणों के सूक्ष्म सर्किट के कार्य के विश्लेषण का विकास किया है.
इससे अनियमित डीसी बिजली आपूर्ति के बावजूद इन उपकरणाें को प्रदर्शन के लिए बेहतर तरीके से डिजाइन करना संभव होगा. इलेक्ट्रॉनिक्स एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय (एमईआईटीवाई) के वित्त पोषण से किए जा रहे इस शोध कार्य के परिणाम हाल ही में आईईईई ओपन जर्नल ऑफ सर्किट्स एंड सिस्टम्स में प्रकाशित किए गए.
डॉ. हितेश माली ने बताया कि उनकी शोध टीम बिजली के फ्लक्चुएशन से होने वाले नुकसानों के विश्लेषण में लगी है ताकि स्पीड, पावर, गेन, डिस्टाॅर्शन के स्तर आदि तमाम पहलुओं को देखते हुए मोबाइल उपकरणों के डिजाइन की विशिष्टताओं का अनुकूलन किया जा सके. आधुनिक उपकरणों जैसे कि मोबाइल फोन, लैपटॉप और टैबलेट की इलेक्ट्रॉनिक सर्किट्री में एक ही सेमीकंडक्टर आईसी पर एनालॉग और डिजिटल दोनों कम्पोनेंट होते हैं.
डॉ. हितेश माली ने कहा कि मोबाइल फोन, डिजिटल म्यूजिक प्लेयर्स, लैपटॉप और टैबलेट के केंद्र माने जाने वाले उपकरण जैसे ट्रांसीवर, एंटीना, एम्पलीफायर, एनालॉग-टू-डिजिटल कन्वर्टर्स (एडीसी) और डिजिटल-से-एनालॉग कन्वर्टर्स (डीएसी) के डिजाइन में ऐसे अनुकूलन की जरूरत होती है जिससे उनकी लाइफ बढ़ती है और लंबे समय तक प्रदर्शन की गुणवत्ता बनी रहती है.
प्रमुख शोधकर्ता ने बताया कि हम ने सूक्ष्म कम्पोनेंट के वीएलएसआई इस्तेमाल करने वाले इलेक्ट्राॅनिक्स के डिजाइन की मुख्य विशेषताओं के विश्लेषण के लिए ट्रांजिस्टर की मैट्रिक्स थ्योरी और क्लोज्ड फॉर्म का इस्तेमाल किया है. शोध टीम ने इस विधि के विकास के बाद कांसेप्ट के सत्यापन के लिए एनालॉग और डिजिटल ब्लॉक के आउटपुट स्टेज के दो उदाहरणों का उपयोग किया है. ये कम्पोनेंट बिजली आपूर्ति अचानक कम-ज्यादा (फ्लक्चुएट) होने से प्रभावित नहीं होते हैं. प्रकाशित शोध की मदद से चिप सिस्टम की कार्य क्षमता तेजी से बढ़ेगी.
ये भी पढ़ें-छात्रवृति घोटाला: बैंक अधिकारियों के खिलाफ CBI ने की विभागीय कार्रवाई की सिफारिश