हमीरपुर: कोरोना के संकटकाल में एजुकेशन हब कहे जाने वाले हमीरपुर जिला में 8 स्कूल बंद हो गए हैं. महामारी के दौर में हर क्षेत्र प्रभावित हुआ है. अभिभावकों की कमाई पर सीधा असर इस संकट काल में देखने को मिला है.
आर्थिक तंगी के चलते निजी स्कूलों से बच्चों को हटाकर सरकारी स्कूलों में दाखिला दिलवाया. इसी कारण बंद होने वाले स्कूलों में बच्चों की संख्या भी कम हो गई. ऐसे में निजी स्कूल प्रबंधकों को अपने स्कूल बंद करने पड़े. ईटीवी भारत से विशेष बातचीत में उच्च शिक्षा उपनिदेशक हमीरपुर दिलबर जीत चंद्र ने ये जानकारी दी है.
विशेष बातचीत में उन्होंने कहा कि 3000 से अधिक बच्चे निजी स्कूलों को छोड़कर इस बार सरकारी स्कूलों में दाखिल हुए हैं. सरकारी स्कूलों के लिए यह निश्चित तौर पर बेहतर है. सरकार की तरफ से बेहतर सुविधाएं सरकारी स्कूलों में विद्यार्थियों को दी जा रही हैं. 31 जुलाई तक 3000 से अधिक बच्चे निजी स्कूलों को छोड़कर इस शैक्षणिक सत्र में सरकारी स्कूलों में दाखिल हुए हैं. अब एक बार फिर से दाखिला शुरू हुआ है तो उम्मीद जताई जा रही है कि यह आंकड़ा बढ़ सकता है.
यदि यह आंकड़ा बढ़ता है तो कई और निजी स्कूलों के बंद होने की संभावना को भी नकारा नहीं जा सकता है. उप निदेशक ने बताया कि जिला में उच्च शिक्षा के तहत 140 निजी स्कूल चल रहे हैं, जबकि प्रारंभिक शिक्षा के तहत भी सौ से अधिक स्कूल कार्य कर रहे हैं. जिन स्कूलों को प्रबंधकों ने बंद कर दिया है उन्होंने विभाग को लिखित जवाब में कहा है कि कोरोना महामारी में वह खर्च वहन नहीं कर पा रहे हैं. इस वजह से उन्हें स्कूल बंद करने पड़े हैं. उनके स्कूल में अधिकतर छात्रों ने स्कूल छोड़ दिया है जिस वजह से 5 अथवा 7 छात्रों के साथ स्कूल चलाना उनके लिए मुश्किल हो गया है.
गौरतलब है कि बंद होने वाले निजी स्कूलों में अधिकतर स्कूल ग्रामीण क्षेत्रों के हैं. हमीरपुर जिला को एजुकेशन हब कहा जाता है. पिछले दो शैक्षणिक सत्रों से लगातार विद्यार्थियों की पढ़ाई प्रभावित हो रही है और महामारी के चलते लोगों की कमाई पर भी लगातार असर पड़ रहा है. इस विपरीत असर के चलते आने वाले दिनों में भी निजी स्कूलों के लिए हालात और विकट हो सकते हैं. निजी क्षेत्रों में जो अभी वहां पर कार्य कर रहे थे उनकी नौकरियां चले जाने के कारण भी यह स्थितियां उत्पन्न हुई है.
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