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नवरात्रि के अवसर पर ज्वाला जी शक्तिपीठ में श्रद्धालुओं का तांता, माता के जयकारों से गूंजा मंदिर

हिमाचल प्रदेश के मंदिरों में भारी संख्या में श्रद्धालु नवरात्रि में माता की पूजा अर्चना के लिए पहुंच रहे हैं. नवरात्रि के पावन अवसर पर बाहरी राज्यों से भी श्रद्धालु माता की पूजा के लिए पहुंच रहे हैं. अष्टमी के कारण ज्वाला जी मंदिर में सुबह से ही भक्तों का तांता लगा है. एसडीएम धनवीर ठाकुर (SDM Dhanveer Thakur) ने बताया कि नवरात्रि में शांतिपूर्वक व्यवस्था के साथ श्रद्धालु दर्शन कर रहे हैं.

devotees reached in jawala ji temple
ज्वाला जी मंदिर में श्रद्धालुओं की भीड़

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Published : Oct 13, 2021, 5:23 PM IST

ज्वालामुखी: देश के शक्तिपीठों में शामिल ज्वालामुखी का मंदिर अपने आप में अनोखा है. विश्व प्रसिद्ध शक्तिपीठ ज्वाला जी में भी नवरात्रि के अवसर पर श्रद्धालुओं का सैलाब उमड़ पड़ा है. मंगलवार को महा अष्टमी के अवसर पर बाहरी राज्यों से भारी संख्या में श्रद्धालु मां ज्वाला जी की पवित्र ज्योति के दर्शन के लिए पहुंचे और मां ज्वाला का आशीर्वाद लिया. हिमाचल प्रदेश उच्च न्यायालय (Himachal Pradesh High Court) के न्यायाधीश त्रिलोक चौहान भी परिवार सहित मां ज्वाला की पवित्र ज्योति के दर्शन के लिए पहुंचे. उनके पहुंचने पर एसडीएम धनवीर ठाकुर (SDM Dhanveer Thakur) ने उन्हें मां ज्वाला की चुनरी और माता की फोटो समृति चिन्ह के रूप में प्रदान की.


एसडीएम धनवीर ठाकुर ने बताया कि नवरात्रि में शांतिपूर्वक व्यवस्था के साथ श्रद्धालु दर्शन कर रहे हैं. श्रद्धालुओं को लाइनों में पीने के पानी की व्यवस्था की गई है. दिव्यांग श्रद्धालुओं के लिए व्हीलचेयर से दर्शन करवाने की व्यवस्था है. नवरात्रि में लाखों रुपये श्रद्धालु मां ज्वाला के दरबार में अर्पित कर रहे हैं. भारी संख्या में श्रद्धालुओं के दर्शनों के लिए पहुंचने पर भी समस्त सुविधाएं प्रशासन द्वारा मुहैया करवाई जा रहे हैं. महा अष्टमी के अवसर पर माता के दर्शन के लिए श्रद्धालु सुबह से ही पंक्ति में लगकर अपनी बारी की प्रतीक्षा करने लगे. इस दौरान श्रद्धालुओं को किसी तरह की कोई परेशानी न हो, इसके लिए प्रशासन की ओर से विशेष ख्याल रखा गया है.

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बता दें कि, प्रदेश के इस शक्तिपीठ की मान्यता 52 शक्तिपीठों में सर्वोपरि मानी गई है. ज्वालामुखी मंदिर को जोतां वाली का मंदिर और नगरकोट भी कहा जाता है. मान्यता है कि यहां देवी सती की जीभ गिरी थी. यह मंदिर माता के अन्य मंदिरों की तुलना में अनोखा है, क्योंकि यहां पर किसी मूर्ति की पूजा नहीं होती है, बल्कि पृथ्वी के गर्भ से निकल रही नौ ज्वालाओं की पूजा होती है.

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