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बिलासपुर: स्कूल प्रिंसिपल दूर करेंगे एग्जाम की टेंशन, शिक्षा विभाग ने दिए निर्देश

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Published : Feb 17, 2021, 4:52 PM IST

बिलासपुर में बच्चों को पढ़ाई के स्ट्रेस से दूर रखने के लिए जिला शिक्षा विभाग ने नई पहल की है. अब हर दिन पांच मिनट के लिए स्कूलों के मुखिया कक्षावार जाकर विद्यार्थियों की काउंसलिंग करेंगे .

bilaspur education department
बिलासपुर शिक्षा विभाग

बिलासपुर: बोर्ड की कक्षाओं के लिए चिंतित विद्यार्थियों का तनाव दूर करने के लिए शिक्षा विभाग ने एक नया कदम उठाया है. अब हर दिन पांच मिनट के लिए स्कूलों के मुखिया कक्षावार जाकर विद्यार्थियों की काउंसलिंग करेंगे और पढ़ाई का स्ट्रेस ज्यादा ना लेने के साथ-साथ कूल माइंड से पढ़ाई करने के लिए प्रेरित व प्रोत्साहित करेंगे. इस संबंध में उच्च शिक्षा विभाग के उपनिदेशक राजकुमार शर्मा ने सभी स्कूलों के प्रधानाचार्यों को आदेश जारी किए हैं.

कोविड के कारण पूरा नहीं हुआ कोर्स

कोरोना में विद्यार्थियों की पढ़ाई पर गहरा असर पड़ा है, जिसके चलते उन्हें ऑनलाइन क्लासेज के तहत पढ़ाई करनी पड़ी है. अब बच्चों की चिंता बोर्ड परीक्षाओं को लेकर है, क्योंकि सिलेबस पूरा कवर नहीं हुआ है और पेपरों में क्या सवाल रहेंगे. इसका स्ट्रेस भी बच्चों पर बहुत है. वो मानसिक रूप से परेशान ना हों और बच्चों का साल भी बर्बाद ना हो, इसलिए बोर्ड की ओर से भी आसान सवाल पेपरों में दिए जाने की व्यवस्था की गई है.

बिलासपुर के स्कूलों में शुरू हुई नई व्यवस्था

बच्चों के स्ट्रेस को दूर करने के लिए बिलासपुर की पाठशालाओं में नई व्यवस्था लागू की गई है, जिसके तहत हर दिन स्कूलों के मुखिया प्रत्येक कक्षा में जाकर बच्चों से बातचीत कर उन्हें मोटिवेट करेंगे. पांच मिनट के लिए स्कूल मुखिया बच्चों का तनाव दूर करने का प्रयास करेंगे, ताकि बोर्ड की वार्षिक परीक्षाओं का तनाव उनके दिमाग से दूर हो सके. हालांकि ये कोई निदेशालय स्तर के आदेश नहीं हैं, बल्कि उच्च शिक्षा विभाग के डिप्टी डायरेक्टर राजकुमार शर्मा की ओर से दिए गए हैं.

डिप्टी डायरेक्टर ने दी जानकारी

उच्च शिक्षा विभाग के डिप्टी डायरेक्टर राजकुमार शर्मा ने बताया कि बिलासपुर में सभी स्कूल प्रधानाचार्यों को रोजाना पांच मिनट तक कक्षाओं में जाकर बच्चों की काउंसलिंग करेंगे, ताकि लंबे समय के बाद स्कूलों में लौटे बच्चों में परीक्षाओं को लेकर कोई दबाव ना रहे. उन्होंने कहा कि काफी समय के बाद बच्चे अब स्कूलों में आने लगे हैं, लेकिन इस समय बच्चों का साइकोलॉजिकल लेवल थोड़ा अलग है, इसलिए बच्चे पढ़ाई को लेकर डिप्रेशन या दबाव में ना आएं इसका विशेष ध्यान रखा जा रहा है.

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