बिलासपुरः जिला बिलासपुर के राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक पाठशाला छात्र रौड़ा को कोरोना वायरस के चलते क्वारंटाइन सेंटर बनाया गया है और यहां पर क्वारंटाइन हुए लोग सरकार के दिशा-निर्देशों के तहत अपना समय व्यतीत कर रहे हैं.
वहीं, दूसरी ओर शिक्षा विभाग द्वारा एडमिशन का कार्य भी शुरू कर दिया गया है जिसके तहत बच्चे और अभिभावक भारी संख्या में स्कूल पहुंचना शुरू हो गए हैं. यहां पर छठी से लेकर 12वीं कक्षा के छात्रों के प्रवेश करने की तिथियां घोषित करने के बाद अभिभावक व उनके साथ बच्चे स्कूलों में आ रहे हैं.
जबकि अभी तक हिमाचल पथ परिवहन निगम द्वारा आवाजाही शुरू नहीं की गई हैं जिससे दूरदराज के लोगों को स्कूलों में प्रवेश लेने में मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है. वहीं, वरिष्ठ माध्यमिक पाठशाला छात्र बिलासपुर में जो कि क्वारंटाइन सेंटर के रूप में भी कार्य कर रहा है. यहां पर कोरोना संदिग्ध लोगों को क्वारंटाइन किया गया है. ऐसे में बच्चे और अभिभावक सहमे हुए हैं.
अभिभावकों का कहना है कि यहां पर लोगों को क्वारंटाइन इसलिए किया गया है ताकि वे समाज में न घूम सके और अपने जरूरी टेस्ट आदि करवाकर वापस अपने घर जा सकें, लेकिन जब तक वे चिकित्सकों की निगरानी में हैं, तब तक खतरे से इंकार नहीं किया जा सकता है. ऐसे में बच्चों को एडमिशन के लिए बुलाना खतरे से खाली नहीं है.
उन्होंने कहा कि विभाग का यह कदम जोखिम भरा हो सकता है. सरकार को चाहिए कि यह क्वारंटाइन सेंटर कहीं दूसरी जगह शिफ्ट करें या फिर स्कूल में एडमिशन की तिथियों को आगे बढ़ाया जाए.
लोगों का कहना है कि क्वारंटाइन लोगों द्वारा प्रयोग किए गए शौचालय व पीने के पानी के नलों का प्रयोग बच्चे भी कर रहे हैं. जिससे इस महामारी में बच्चे भी लिप्त हो सकते हैं. प्रशासन को चाहिए कि क्वारंटाइन सेंटर को यहां से शिफ्ट किया जाए और पूरे स्कूल को अच्छी तरह से सेनिटाइज कर दिया जाए ताकि स्कूल में आने वाले लोग सुरक्षित रहे और आसपास के लोग भी सुरक्षित रह सके.
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