बकरा व्यापारियों के माथे पर चिंता की लकीरें, कैसे मनेगा त्योहार ?
नूंह जिले के पिगनवां कस्बे में बकरा पालन का काम कई दशकों से चलता आ रहा है. यहां के कुरैशियों के अलावा मुस्लिम समाज के कई और लोग भी बकरे पालते हैं. इन सबकी आजीविका के लिए बकरी पालन मुख्य व्यवसायों में से एक है. ये लोग पूरे साल बकरा पालते हैं ताकि बकरा ईद पर उसे बेचकर पैसा कमा सकें और अपना खर्च चला सकें. लेकिन कोरोना के इस दौर में बाकी त्योहारों की तरह बकरा ईद पर भी बुरा असर पड़ा है.