यमुनानगर: हरियाणा के यमुनानगर में राइस मिलर्स की हड़ताल जारी है. वीरवार को राइस मिलरों ने मांगों का ज्ञापन जिला उपायुक्त को सौंपा था. जिले के 187 राइस मिलर्स हड़ताल पर हैं. राइस मिलरों का कहना है कि इस बार सरकार की तरफ से उनको धान की 16000 गाड़ियां मिलिंग के लिए दी गई है. राइस मिलों को धान की मिलिंग कर सरकार को निर्धारित समय में चावल वापस करना होता है. इसके लिए राइस मिलर जनवरी से शेड्यूल जारी करने की मांग कर रहे हैं.
पॉलिसी के मुताबिक नवंबर-दिसंबर तक 25 फीसदी, जनवरी तक 45 फीसदी, फरवरी तक 70 फीसदी, मार्च तक 90 फीसदी और अप्रैल तक 100 फीसदी चावल सरकार को देना होता है. नई पॉलिसी के कारण मिलर सरकार को चावल का एक दाना भी नहीं दे पाए हैं. मिलर्स चावल सप्लाई की नई पॉलिसी का विरोध कर रहे हैं. राइस मिल संचालकों का कहना है कि वो नई पॉलिसी के अनुसार चावल की सप्लाई नहीं दे सकते. इसलिए उन्होंने हड़ताल का फैसला किया है.
बता दें कि राइस मिलरों को सरकार धान देती है. राइस मिलर उस धान से चावल निकाल कर सरकार को वापस करते हैं. इसे लेकर सरकार और राइस मिलरों के बीच पॉलिसी बनती है. इस बार पॉलिसी में सरकार ने नए नियम शामिल किए हैं. इनका राइस मिलर विरोध कर रहे हैं. राइस मिलर एसोसिएशन के प्रधान प्रवीन कुमार अग्रवाल ने बताया कि सरकार ने चावल में एफआरके (फोर्टिफाइड राइस कर्नेल) की दो साल की गारंटी उनसे स्टांप पेपर पर मांगी है.
उन्होंने कहा कि सरकार की ये शर्त गलत है. क्योंकि राइस मिलर धान से चावल निकाल कर उसमें एक प्रतिशत एफआरके मिक्स करते हैं. पिछले साल भी मिक्स किया था. इससे कोई दिक्कत राइस मिलरों को नहीं है. उनका कहना है कि राइस मिलर की जिम्मेदारी अपने राइस मिल से एफआरके मिक्स कर बेहतर क्वालिटी का चावल देने की है. आगे गोदामों में रखे चावल की जिम्मेदारी राइस मिलर की नहीं होनी चाहिए.