यमुनानगर:यमुना नदी में डूबते लोगों की जान बचाने वाला और नदी से हजारों शव निकाल चुका सुखराम यमुनानगर में किसी पहचान का मोहताज नहीं है. क्योंकि सुखराम अब तक 5,684 से भी ज्यादा लोगों को यमुना नदी से बाहर निकाल चुका है. जिनमें लोगों की जान बचाना और शव निकालना शामिल है. सुखराम जब करीब 17 साल का था तब से इस काम में जुट गया था. सुखराम की पहचान इसलिए भी है क्योंकि आज तक उसने कभी किसी शव या किसी शख्स की जान बचाने के लिए पैसे नहीं लिए. वह ये सब सेवाभाव से करता आ रहा है.
सुखराम बताते हैं कि उनका परिवार विश्वकर्मा मोहल्ले में रहा करता था और उनके बड़े भाई दिलावर सिंह ने जबरदस्ती तैरना सिखाया. पहले ही दिन उनके बड़े भाई ने उन्हें एक बड़े गड्ढे में धकेल दिया था और उसके बाद उनका तैराकी जीवन शुरू हुआ. आज उनका इतना स्टेमिना है कि दादूपूर से यमुना में छलांग लगाकर यमुनानगर निकलते हैं यानी 16 किलोमीटर एक बार में ही तैर जाते हैं.
उन्होंने बताया कि कई बार शवों और लोगों को निकालते वक्त काफी कठिनाई आई, लेकिन 35 साल के इस दौर में उन्होंने कभी हार नहीं मानी. इस बीच उनकी शादी दिल्ली निवासी गीता के साथ हुई. एक तरफ वैवाहिक जीवन तो दूसरी तरफ ईमानदारी से सेवाभाव का काम जारी रखा. वहीं लोगों की जान बचाते-बचाते उन्हें एक और शौक लग गया. ये शौक था ऐतिहासिक सिक्के जमा करने का. लोगों को बचाते-बचाते उन्होंने यमुना से बेशकीमती ऐतिहासिक सिक्के भी जुटाए.
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सुखराम बताते हैं कि यमुना से उन्हें सोने चांदी से लेकर भिन्न-भिन्न धातु के सिक्के मिले, लेकिन परिवार का गुजर-बसर करने के लिए मुसीबत आने पर उन्हें कई बार ये सिक्के बेचने पड़े. यदि सिक्के ना बेचते तो आज उनके पास दो क्विंटल बेशकीमती सिक्के होते. काफी सिक्के बेचने के बाद अभी करीब आधा क्विंटल सिक्के सुखराम के पास हैं.