यमुनानगर: अमृतसर के जलियांवाला बाग के नरसंहार कांड को आज 100 साल पूरे हो रहे हैं. इस मौके पर 'शहीद भगत सिंह की सेना' ने शहीद स्मारक से मिट्टी लाकर इंकलाब मंदिर में अर्पित की. इस मुहिम की शुरूआत कारगिल युद्ध और 26/11 हमले के महानायक कमांडो रामेश्वर श्योराण ने की थी.
जलियांवाला कांड की 100वीं बरसी आज, देश दे रहा शहीदों को श्रद्धांजलि
जालियांवाला बाग हत्याकांड की आज 100वीं बरसी है. देश जालियांवाला बाग की 100वीं बरसी पर शहीदों को याद कर रहा है.
इंकलाब मंदिर में सेना ने अर्पित की मिट्टी
हुसैनीवाला गांव पाकिस्तान की सीमा के पास सतलज नदी के किनारे स्थित है. इसी गांव में शहीद भगत सिंह, राजगुरु और सुखदेव का अंतिम संस्कार किया गया था. जिसकी मिट्टी लेकर आज सेना रादौर के इंकलाब मंदिर पहुंची.
क्या है जलियांवाला बाग हत्याकांड?
सौ साल पहले 13 अप्रैल 1919 बैसाखी के दिन एक बाग में करीब 20 हजार हिंदुस्तानी शांति सभा कर रहे थे. ये सभा पंजाब के दो लोकप्रिय नेताओं की गिरफ्तारी और रोलेट एक्ट के विरोध में रखी गई थी. इस सभा में 90 सैनिकों के साथ जल्लाद अफसर जनरल डायर पहुंचा और गालियां चलवा दी. कहा जाता है कि करीब 10 मिनट में 1650 राउंड गोलियां चलाई गई. इस जलियांवाला बाग कांड में अंग्रेजों के आंकड़े बताते हैं कि 379 लोग मारे गए लेकिन हकिकत इससे कहीं परे है. सभा में एक हजार से ज्यादा लोग मारे गए और करीब दो हजार लोग जख्मी हुए थे. लोग बताते हैं कि 120 लाशें तो सिर्फ उस कुएं से बाहर निकाली गई थी. जिस कुएं में लोग जान बचाने के लिए कूदे थे. इस नरसंहार के बाद पूरे देश में लोगों का ऐसा गुस्सा फूटा कि ब्रिटिश हुकूमत की जड़े हिल गईं थी.